लॉक डाउन का प्रभाव….
हम अब उम्र के इस पड़ाव पर है,की चिंतन करना,और लोगो को जागरूक करना ही अब अपना कर्तव्य समझते है,
एक समय था,जब हम भी जोशीले थे, जज्बाती थे,और देश एवं समाज के लिए अपने अग्रजो को सुनकर सीधे मैदान में कूद पड़ते थे,फिर नतीजा कुछ भी हो, पर अब अपने अनुभव से नवयुवकों को कहते है, की कोई भी कदम उठाने से पहले उसके परिणाम के बारे में आकलन अवश्य करें, इस समय भारत पर जो एक युद्ध जैसा माहौल बना है, उससे हमसब की आत्मा बहुत ही सुन्न है, क्योकि यह आक्रमण एक अदृश्य शत्रु ने किया है, और किसी भी अदृश्य दुश्मन से मुकाबला करना नामुमकिन तो नही परन्तु कठिन जरूर है ।
और हर युद्ध को जीतने के लिए एक सेना, एक नायक और एक योजना और हत्यार की जरूरत होती है,तो इस कोरोना युद्ध से जितने के लिए भी इन्ही तरीको का उपयोग करना होगा ,यहाँ सेना भारतीय जनता है, नायक देश के प्रधानमंत्री है, और योजना छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बताए गए गुलिरा वॉर है, और यहां हम सब के पास हत्यार यानी कि दवाई नही है लेकिन बनाने की प्रक्रिया शुरू है
जब तक हमारे हाथों में हत्यार नही होंगे, तब तक हम अपनी सेना को जानबूझकर मौत के मुंह मे नही धखेल सकते तो इस युद्ध को जीतने का एक ही तरीका है,की जब तक सेना के पास हत्यार नही आते तब तक सेना को एकांत में रहकर दुश्मन को अपने इलाके से दूर रखना होगा, और जैसे ही हत्यार उपलब्ध होंगे तब दुश्मन पर धावा बोल देना होगा ,तो इस कोरोना से जंग में विजयी होने के लिए हम सबको सरकार द्वारा दिये गए हर सुझाव का पालन करना चाहिए।
रामचंद्र पाल (सामाजिक चिंतक, सुभचितनक राष्ट्रीय गूंज एनजीओ)
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…