ग्वालियर राजघराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपाई हुए…
भाजपा में शामिल होते ही मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए पार्टी के उम्मीदवार घोषित…
“हिंद वतन समाचार” ने सोमवार को ही खबर चलाई थी कि सिंधिया भाजपा में शामिल होंगे…
सोमवार रात “हिंद वतन समाचार” पर चली खबर 👆
सिंधिया ने कहा- कांग्रेस अब पहले वाली कांग्रेस नहीं रही, मोदी जी के हाथ में देश को बताया सुरक्षित…
लखनऊ/नई दिल्ली। ग्वालियर राजघराने के महाराज और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं राहुल गांधी के अति करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज भाजपाई हो गए। उन्होने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में विधिवत रुप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण की, उन्हे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष/मध्यप्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीड़ी शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, प्रवक्ता जफर इस्लाम, राष्ट्रीय महामंत्री अनिल जैन एवं संजय मयूक मौजूद थे।
सदस्यता ग्रहण करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संबोधन में कहा कि अब कांग्रेस पहले वाली कांग्रेस नहीं रही, सत्यता को स्वीकार न करना इसकी एक बड़ी बजह है। किसानों के कर्ज माफी के वादे के बाद भी अभी तक कर्जा माफ नहीं हुआ है एवं वहां भ्रष्टाचार बढ़ा है। उन्होने कहा कि ऐसे में मैं अपने को कांग्रेस में असहज महसूस कर रहा था। सिंधिया ने गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में देश सुरक्षित है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने का स्वागत करते हुए कहा कि सिंधिया जी की अपने घर वापसी हुई है, राजमाता विजय राजे सिंधिया हमारी पार्टी की आदर्श रहीं हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के 2 बजकर 52 मिनट पर पार्टी की सदस्यता लेते ही उन्हे पार्टी ने राज्यसभा का मध्यप्रदेश से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
बताते चलें कि “हिंद वतन समाचार” ने सोमवार रात ही 12 बजकर एक मिनट पर इस बारे में खबर चलाई थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल होंगे और उन्हे राज्यसभा भेजा जाएगा।
पिता के निधन के बाद कांग्रेस में ली पिता की जगह
पिता माधवराव सिंधिया की मौत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2011में कांग्रेस में पिता की जगह ली। 2002 में जब गुना सीट पर उपचुनाव हुए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए। पहली जीत के बाद से 2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी चुनाव नहीं हारे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कभी उनके ही सहयोगी रहे कृष्ण पाल सिंह यादव ने उन्हें हरा दिया।
इस तरह शुरू हुई सिंधिया-कमलनाथ की तकरार
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में सरकार तो बना ली लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री नहीं बन सके। पार्टी ने कमलनाथ को प्रदेश की कमान सौंप दी। यहीं से दोनों नेताओं के बीत तकरार शुरू हो गई। विधानसभा के छह महीने बाद ही लोकसभा चुनाव में मिली हार सिंधिया के लिए दूसरा बड़ा झटका साबित हुई। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही बार-बार मांग करने के बावजूद सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पद भी नहीं मिला। उसके बाद राज्यसभा भेजे जाने को लेकर भी कमलनाथ और सिंधिया के बीच तकरार सामने आई।
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,