वर्चुअल खुशी की बीमारी लग गई है तो लखनऊ यूनिवर्सिटी चले आईए, बदल जाएगी आदत…
आज के समय में लोग रीयल लाइफ को भूल एक वर्चुअल लाइफ जी रहे हैं. जिसके चलते जीवन की असली खुशियों के मायनें मानों उनके गैजेट में ही सिमट कर रह गए हैं. अगर इस दौर को हम गैजेट एरा कहें तो कोई गलत बात नहीं होगी. जहां हर कोई केवल अपने फोन और लेपटॉप में ही व्यस्त हैं. कोई फेसबुक में अपनी फोटो पर लाइक बढ़ाने में खुश है तो कोई टिकटॉक पर खुद को मश्हूर करने में. इन सबके बीच लोग जीवन जीना भूलते जा रहे हैं. कई शोध में यह भी पाया गया है कि लोगों को वर्चुअल खुशी की आदत लग गई है. बच्चे हो या बूढ़े सब सोशल मीडिया पर खुद को पॉपुलर बनाने में खुश हैं. जो एक बेहद खतरनाक बिमारी साबित हो रही है. खुद को रियल वर्ल्ड से दूर रखने वाले ये लोग शायद ये नहीं जानते कि अंदर ही अंदर ये डिप्रेशन में जा रहे हैं.
ऐसे लोगों की सेहत और खुशियों का ख्याल रखते हुए लखनऊ यूनिवर्सिटी एक ऐसे पेपर अपने सिलेबस में जोड़ने जा रही है जो लोगों को रियल हैप्पीनेस से अवगत कराएगा. छात्रों को तनाव से मुक्ति दिलाने और उन्हें वास्तविक आनंद की अनुभूति कराने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी नए सेशन से ‘एजुकेशन फॉर हैप्पीनेस’नाम का ये नया पेपर शुरू करने जा रही है.
शिक्षा संकाय के एमएड के सिलेबस में इसे जगह दी जा रही है. इस पेपर को ऑप्शनल रखा गया है. इस कोर्स के माध्यम से विद्यार्थियों को हर परिस्थिति में मुस्कुराने की कला सिखाने का पूरा प्रयास किया जाएगा. लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमिता बाजपेई ने बताया कि नए सेशन से इस पेपर की शुरुआत हो रही है. उन्होंने बताया कि यह इंटर डिपार्टमेंटल पेपर है और इसे विज्ञान और एमकॉम के छात्र भी इसे पढ़ सकते हैं.
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…