RBI के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने छोड़ा पद, बीते 15 महीने में तीन गवर्नर-डिप्टी गवर्नर के इस्तीफे…
एन एस विश्वनाथन को जून 2016 में एच आर खान की जगह डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था…
इससे पहले, वह RBI में गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग में चीफ जनरल मैनेजर थे…
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए रिटायरमेंट से पहले अपना पद छोड़ दिया है. केंद्रीय बैंक में उनकी 29 सालों की सेवा 31 मार्च को समाप्त हो रही है. एन एस विश्वनाथन से पहले गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर 2018 और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने जून 2019 में RBI में अपना पद छोड़ दिया था.
डिप्टी गवर्नर के करीबी सूत्रों व एक ख़बर के अनुसार ने श्री विश्वनाथन ने यह निर्णय इसलिए लिया की डॉक्टरों ने उन्हें तनाव से संबंधित बीमारी का सामना करने के बाद आराम करने की सलाह दी है. उन्हें जून 2016 में एच आर खान की जगह डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था. उन्हें पिछले साल जून में एक और साल के लिए फिर से नियुक्त किया गया था.
एन एस विश्वनाथन आरबीआई के कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं. हालांकि आरबीआई ने आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया है की एन एस विश्वनाथन ने ऐसा कोई फैसला लिया है. यानी कि अभी भी आधिकारिक तौर पर एनएस विश्वनाथन अपने पद पर कार्यरत हैं.
बतौर डिप्टी गवर्नर एन.एस. विश्वनाथन को बैंकिंग रेगुलेशन, कॉपरेटिव बैंकिंग, नॉन बैंकिंग रेगुलेशन, डिपॉजिट इंश्योरेंस, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और इंस्पेक्शन की जिम्मेदारी दी गई थी. एन एस विश्वनाथन के ही निर्देश पर आरबीआई, एनबीएफसी को बेल आउट देने के विरोध में अपने कदम पर कायम रही. विश्वनाथन पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के समर्थक माने जाते हैं.
आरबीआई में चार डिप्टी गवर्नर होते हैं जिसमें से दो आरबीआई में रैंक के अनुसार चुने जाते हैं. इसमें कमर्शियल बैंक और एक अर्थशास्त्री चुने जाते हैं जिन्हें मिलकर मॉनिटरी पॉलिसी डिपार्टमेंट बनाया जाता है.
उर्जित पटेल ने भी व्यक्तिगत कारणों से दिया था इस्तीफा
सरकार से लंबी खींचतान और तनातनी के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले साल 10 दिसंबर 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. पटेल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया था.
पिछले साल 24 जून को दिया था विरल आचार्य ने इस्तीफा
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले साल 24 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. आचार्य को दिसंबर 2016 में नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल छह महीने बाद खत्म होने वाला था. लेकिन उन्होंने मोदी सरकार के बजट से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया था।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…