बरेली: संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द हटाए जाने को लेकर कांग्रेसियों का विरोध…

बरेली: संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द हटाए जाने को लेकर कांग्रेसियों का विरोध…

बरेली, 23 सितंबर। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह प्रस्तावना को लेकर कानून मंत्रालय द्वारा बदलाव कर संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द हटाए जाने को लेकर कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया गया है।

जिसको लेकर आज कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपती को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को देते हुए बताया कि कानून मंत्रालय द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में दुर्भावनापूर्ण बदलाव कर संविधान की प्रस्तावना की प्रति बाँटी जबकि इसको भारतीय संविधान का हृदय और आत्मा माना जाता है।

इसकी मूल संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है। आपको अवगत कराना है कि साल 2008 में कोलकाता के एक एन०जी०ओ० गुड गवर्नेस फाउंडेशन ने प्रस्तावना से समाजवादी शब्द हटाने से जुड़ी एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। कोर्ट ने इस अर्जी को ये कहते हुये खारिज कर दिया था कि समाजवाद” शब्द का अर्थ नागरिकों के लिए कल्याणकारी उपाय है।

साल 2021 में बीजेपी सांसद केजे अल्फोंस ने राज्यसभा में प्राइवेट मेम्बर बिल लाकर प्रस्तावना से “समाजवादी शब्द हटाने का प्रस्ताव पेश किया था।वहीं साल 2020 में बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने भी ऐसी ही माँग करते हुए राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश किया था।

साल 2015 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना की जगह ऐसी प्रति का इस्तेमाल किया था, जिसमें सोशलिस्ट और सेक्युलर (“समाजवादी और पंथ निरपेक्ष) शब्द नहीं थे। 19 सितम्बर 2023 को भी नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में कानून मंत्रालय द्वारा फिर से संविधान की प्रस्तावना की ऐसी ही प्रति दुर्भावनापूर्ण वितरित की गई जिसमें सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द नहीं है। कानूनमंत्री अर्जुन राम मेघवाल का ये कृत्य संविधान विरोधी है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…