टीबी मुक्त अभियान में बेहतर कार्य को लखनऊ सम्मानित…
राज्यपाल ने क्षय रोग अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित
लखनऊ, । देश को टीबी मुक्त अभियान में बेहतर कार्यशैली के एवज में लखनऊ को सम्मानित किया गया। साथ ही टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत क्षय रोगियों को गोद लेकर उन्हें पोषणात्मक एवं भावनात्मक सहयोग दिलाने में प्रदेश के सर्वोच्च 10 जिलों में लखनऊ ने अपना नाम दर्ज किया है।रविवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एके सिंघल सहित 10 जनपदों के जिला क्षय रोग अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस उपलब्धि पर सीएमओ डा. मनोज अग्रवाल ने जिला क्षय रोग अधिकारी सहित जनपद की पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि इसे प्राप्त करना गर्व की बात है।जिला क्षय रोग अधिकारी के नेतृत्व में मुख्यालय की पूरी टीम के कर्मचारियों के संयुक्त प्रयासों का ही परिणाम है। टीम ने बहुत मेहनत की है।पूरी टीम बधाई की पात्र है और अब टीम को इससे बेहतर करने का प्रयास करना है। जिला क्षय रोग अधिकारी बताते हैं कि इसके साथ ही जनपद में 11770 टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है, जिसमें 10,627 टीबी रोगियों को 393 निक्षय मित्रों के द्वारा गोद लिया जा चुका है।
गोद लेने वाली संस्थाओं में शहर के उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे लखनऊ विश्वविद्यालय, शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय, भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय, केजीएमयू, एसजीपीजीआई हैं। इसके साथ ही सिल्वर जुबली सीएचसी, हरभज राम ट्रस्ट, ताज होटल, स्वयं सेवी संस्था प्लान इंडिया और पावर विंग्स फाउंडेशन सहित जनपद के कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी क्षय रोगियों को गोद लिया है। गोद लेने में वह न केवल इलाज के दौरान क्षय रोगियों को पोषण सामग्री देते हैं। इससे न केवल रोगियों को पौष्टिक खाद्य सामग्री मिलती है बल्कि उन्हें भावनात्मक रूप से यह भी एहसास होता है कि वह अकेले नहीं हैं।
समाज के लोग भी उन्हें सहयोग कर रहे हैं।पोषण सामग्री में दाल, चना, गुड़, दलिया, मूंगफली, तिल गुड़ आदि दिया जाता है।इसके अलावा बच्चों को हॉर्लिक्स या बोर्नविटा भी दिया जाता है।जिला क्षय रोग अधिकारी बताते हैं कि यह योजना टीबी रोगियों को गोद लेने की योजना है। इस योजना से जुड़ने के लिए www.nikshay.in पोर्टल पर लॉग इन् कर पंजीकृत हुआ जा सकता है। इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति, औद्योगिक संगठन, स्वयंसेवी संगठन, राजनैतिक दल व शिक्षा संस्थान टीबी रोगियों को गोद ले सकते हैं। इस योजना के तहत इलाज के दौरान कम से कम छह माह या अधिकतम तीन साल् तक टीबी रोगी को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण या आजीविका के स्तर पर मदद कर सकते हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…