जी20 शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति बाइडन की भारत यात्रा की तैयारी पूरी : अमेरिका…

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति बाइडन की भारत यात्रा की तैयारी पूरी : अमेरिका…

वाशिंगटन, 07 सितंबर । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भारत का दौरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और नयी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में वह जिन महत्वपूर्ण पहलों का समर्थन करेंगे, उन्हें लेकर वह ”बहुत उत्साहित” हैं। व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अपनी भारत यात्रा के दौरान बाइडन रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।

अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन (72) सोमवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं। जिल बाइडन के संक्रमित पाए जाने के बाद 80 वर्षीय राष्ट्रपति बाइडन की सोमवार और मंगलवार को संक्रमण की जांच की गई, लेकिन जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई।

व्हाइट हाउस ने कहा कि दो बार जांच में राष्ट्रपति में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है और भारत के लिए उनकी यात्रा योजना में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

शुक्रवार शाम को नयी दिल्ली पहुंचने के बाद राष्ट्रपति बाइडन उसी रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान और उससे इतर मोदी और विश्व के अन्य नेताओं के साथ बाइडन की बैठकें और बातचीत सीडीसी द्वारा स्थापित कोविड-19 नियमों के तहत होंगी।

संक्रमण की पुष्टि के बाद प्रथम महिला डेलावेयर स्थित अपने आवास में पृथक-वास में हैं और राष्ट्रपति के साथ भारत और वियतनाम की यात्रा नहीं कर रही हैं।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने बुधवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सोमवार रात, मंगलवार और आज सुबह राष्ट्रपति में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई। उन्हें किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं हो रहा है, जो निश्चित रूप से एक अच्छी बात है।”

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ज्यां-पियरे ने दोहराया कि राष्ट्रपति की यात्रा योजनाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष और यात्रा करने वाले सदस्यों का बार-बार कोविड-19 परीक्षण किया जाएगा। बृहस्पतिवार शाम को व्हाइट हाउस से भारत के लिए प्रस्थान करने से पहले बाइडन की कम से कम एक बार और जांच की जाएगी।

व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के रणनीतिक संचार के समन्वयक जॉन किर्बी ने ‘वाशिंगटन फॉरेन प्रेस सेंटर’ द्वारा आयोजित एक अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”वह (बाइडन) कल रवाना हो रहे हैं और वह उन महत्वपूर्ण पहलों को लेकर बहुत उत्साहित हैं जिनका वह जी20 में समर्थन करेंगे।”

उन्होंने कहा कि बाइडन का ध्यान विकासशील देशों के लिए आर्थिक अवसर प्रदान करने, जलवायु से लेकर प्रौद्योगिकी तक अमेरिकी लोगों के लिए प्रमुख प्राथमिकताओं पर प्रगति करने और इन मुद्दों पर जी20 के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाने पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा, “हम भारत के जी20 की अध्यक्षता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के लिए आभारी हैं और राष्ट्रपति निश्चित रूप से नयी दिल्ली में अपने आगमन के तुरंत बाद प्रधानमंत्री के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”

किर्बी ने कहा, ”वह जी20 के नवीनतम स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए भी उत्सुक हैं और हमारा मानना है कि अफ्रीकी संघ की आवाज जी20 को पहले से भी अधिक मजबूत बनाएगी।” उन्होंने उम्मीद जताई कि जी20 सदस्य देश संयुक्त बयान जारी कर सकेंगे।

किर्बी ने कहा, ”अक्सर निर्णायक बिंदु यूक्रेन में युद्ध रहा है क्योंकि रूस और चीन जैसे देशों की इस पर हस्ताक्षर करने की संभावना कम है जिस पर बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी हस्ताक्षर करने में अधिक असहज रहते हैं, इसलिए हम देखेंगे कि यह कहां जाता है। हम निश्चित रूप से इसे देखना चाहेंगे।”

राष्ट्रपति बाइडन के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा उन जी20 नेताओं में से हैं जो शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी की पहले ही पुष्टि कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री मोदी 10 सितंबर को ब्राजील के राष्ट्रपति लूला को जी20 अध्यक्ष पद की कमान सौंपेंगे। ब्राजील एक दिसंबर को औपचारिक रूप से जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।

जी20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं।

समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…