एथलेटिक थेरेपिस्ट बन बनाएं ब्राइट करियर…

एथलेटिक थेरेपिस्ट बन बनाएं ब्राइट करियर…

इंडिया में अगर इंजीनियरिंग, मेडिकल, आइएएस, एंटरप्रेन्योरशिप में करियर बनाने का क्रेज है, तो स्पोट्र्स का पैशन रखने वाले और उसे प्रोफेशन के रूप में अपनाने वाले भी कम नहीं हैं। खिलाड़ी के रूप में नाम कमाने के अलावा स्पोट्र्स गुड्स इंडस्ट्री से जुड़कर भी लाखों युवा अपना भविष्य संवार रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, इस इंडस्ट्री में पांच लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इंटरनेशनल मार्केट में इंडियन स्पोट्र्स गुड्स की विश्वसनीयता बढऩे से एक्सपोर्ट मार्केट में इंडस्ट्री की धाक है। इधर, स्पोर्टिंग इवेंट्स में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है। वे अपनी ट्रेनिंग और फिटनेस पर पूरा फोकस कर रहे हैं, जिससे एथलेटिक थेरेपी एक नए विकल्प के तौर पर सामने आया है।

क्या है एथलेटिक थेरेपी?

एथलेटिक थेरेपी को स्पोट्र्स मेडिसिन भी कहते हैं। इसमें किसी भी खिलाड़ी की परफॉर्मेंस में सुधार लाने के लिए मेडिकल साइंस का इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग देनेे की साइंटिफिक तकनीक बताई जाती है, जिससे वे चोटिल होने पर भी दोबारा जल्द वापसी कर सकते हैं या फिर चोटिल हुए बिना अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर कर सकते हैं। एक एथलेटिक थेरेपिस्ट का काम किसी भी घायल खिलाड़ी को तुरंत राहत और सपोर्ट उपलब्ध कराना होता है। इसके अलावा, दूसरे हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स, फिजिकल थेरेपी, फिजियोथेरेपी, ऑर्थोपेडिक एक्सपट्र्स की मदद से खिलाडिय़ों का रीहैबिलेशन किया जाता है। उन्हें चोट से बचाव के उपाय बताए जाते हैं।

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

एथलेटिक थेरेपिस्ट बनने के लिए आपके पास स्पोट्र्स मेडिसिन (एमबीबीएस), स्पोट्र्स फिजिकल थेरेपी में मास्टर्स डिग्री होनी चाहिए। साथ ही, एक्सरसाइज फिजियोलॉजी और एथलेटिक ट्रेनिंग में अतिरिक्त सर्टिफिकेट होने से फायदा मिलेगा। स्टूडेंट्स के पास फस्र्ट-एड और लाइफ सपोर्ट में सर्टिफिकट होना आवश्यक है। आप फिजियोथेरेपी में डिग्री कोर्स करके भी इस सेक्टर में आ सकते हैं। इंडिया में कई इंस्टीट्यूट्स और यूनिवर्सिटीज फिजियोथेरेपी में मास्टर्स कोर्स संचालित करती हैं।

बेसिक स्किल्स

एथलेटिक थेरेपिस्ट के लिए खेल के प्रति लगाव, मोटिवेशन और दृढ़निश्चय का होना सबसे पहली जरूरत है। इसके साथ ही गंभीर मेडिकल अवस्था की जांच के लिए क्लीनिकल एक्सपीरियंस होना चाहिए। इसके अलावा, बेसिक साइकोलॉजिकल स्किल्स होना भी जरूरी है, ताकि मरीजों से इंटरैक्शन में कोई दिक्कत न हो। जो लोग करियर में ऊंची छलांग लगाना चाहते हैं, उन्हें स्पोट्र्स मेडिसिन में हो रहे लेटेस्ट डेवलपमेंट्स की जानकारी रखनी चाहिए।

संभावनाएं

इन दिनों जिस तरह से खिलाड़ी इंजरी मैनेजमेंट से लेकर अपने खेल को उन्नत बनाने के लिए साइंटिफिक अप्रोच के साथ काम कर रहे हैं, उसे देखते हुए जॉब मार्केट में एथलेटिक या स्पोट्र्स थेरेपिस्ट की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है। जिम और स्पोट्र्स कल्चर के बढऩे से भी यह एक आकर्षक विकल्प के रूप में चुना जा रहा है। मल्टीनेशनल स्पोट्र्स कंपनीज एथलेटिक थेरेपिस्ट्स को हायर करती हैं। वैसे, इंजरी प्रिवेंशन या मैनेजमेंट, मस्क्यूलोस्केलेटल रिहैबिलिटेशन में ट्रेन्ड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स, चाहें तो इस सेक्टर में मनचाहा मुकाम हासिल कर सकते हैं।

सैलरी

एक एथलेटिक थेरेपिस्ट करियर की शुरुआत में 40 हजार रुपये आसानी से कमा सकता है। अनुभव बढऩे के साथ ही सैलरी 75 हजार रुपये से तीन लाख रुपये महीने तक हो सकती है।

प्रमुख इंस्टीट्यूट्स

-जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
-मणिपाल यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
-इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली
-एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा
-गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
-डी.वाई. पाटिल यूनिवर्सिटी, पुणे

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…