बंटी हुई दुनिया को साथ लेकर आना हमारा दायित्व : डॉ. एस. जयशंकर…
विकसित भारत@2047 के तहत हिन्दू कॉलेज में हुआ अमृत काल-विमर्श का आयोजन
नई दिल्ली,। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि आज दुनिया उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम में बंटी हुई है। हमारा दायित्व है कि बंटी हुई दुनिया को साथ लाएं। डॉ. जयशंकर “विकसित भारत@2047 विकास संवाद” के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में आयोजित अमृत काल-विमर्श के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
“जी20 प्रेसीडेंसी और इसका वैश्विक प्रभाव” विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने की। कार्यक्रम में संबोधन के पश्चात केंद्रीय मंत्री ने ऑडिटोरियम में उपस्थित विद्यार्थियों के साथ संवाद भी किया और उनके प्रश्नों के उत्तर दिये।
डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया उत्तर में विकसित देश और दक्षिण में विकासशील देशों में बंटी हुई है तथा यूक्रेन युद्ध के कारण पूर्व और पश्चिम में देशों का ध्रुवीकरण हो रहा है। इन सबके बीच मध्य में हम हैं, इसलिए हमारा दायित्व है कि बंटी हुई दुनिया को साथ लाएं। उन्होंने कहा कि हमारी गवर्नेंस, इकोनोमी, टेक्नॉलॉजी और स्वतंत्र विदेश नीति के कारण दुनिया में हमारा सम्मान है।
उन्होंने कहा कि भारत कोविड महामारी से काफी तेजी से उबरा है जबकि कई देश ठीक से उबरने में संभव नहीं हो पाए। इसके साथ ही यूक्रेन युद्ध ने भी दुनिया के सामने कई दिक्कतें पैदा की हैं। इससे ईंधन की कीमतें, खाद्यान्न की उपलब्धता एवं कीमतें और उर्वरकों की उपलब्धता व कीमतें प्रभावित हुई हैं, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा, अच्छे पोषण, अच्छा पानी व अच्छी ऊर्जा और पर्यावरण परिवर्तन जैसी चुनौतियों से दुनिया जूझ रही है। इस दौर में भारत की जी20 की अध्यक्षता बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि अमृत काल के अगले 25 वर्ष हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनमें हमें विकसित राष्ट्र बनना है। इसमें युवाओं का अहम योगदान रहेगा। आज के समय में देश के युवाओं को यह समझना होगा कि उनके काम, सपने, आकांक्षाएं, उपलब्धियां अब भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रहेंगी। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे जोश के साथ बदलाव और अपने आसपास पैदा हो रही क्रांतियों को अपनाएं, क्योंकि यह न्यू इंडिया को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आने वाले 25 वर्षों में इसे जारी रखने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो योगेश सिंह ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बन जाएगा, क्योंकि यह भारत के प्रधानमंत्री और उनके साथ 140 करोड़ भारत वासियों का संकल्प है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि हमें इसमें अपनी भूमिका खोजनी है, क्योंकि अगले 25 वर्ष हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
कार्यक्रम के आरंभ में हिंदू कॉलेज की प्राचार्या प्रो. अंजू श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, प्रोकटोर प्रो. रजनी अब्बी और डीन एकेडमिक प्रो. के. रत्नाबली सहित कई अधिकारी, हिंदू कॉलेज के शिक्षक और सैंकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।
विद्यार्थियों ने किया मंत्री से संवाद : “विकसित भारत@2047 विकास संवाद” कार्यक्रम के अंत में केन्द्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने विद्यार्थियों के साथ सीधा संवाद किया। इस अवसर पर कई विद्यार्थियों ने अपने-अपने प्रश्न मंत्री के सामने रखे और उन्होंने विस्तार से उत्तर दिये। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता को लेकर पूछे गए प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि जब यूएन की स्थापना हुई तब केवल 50 देश इसके सदस्य थे लेकिन आज करीब 200 देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य हैं। आबादी के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसलिए भारत को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…