सलाखों के पीछे भी बने रहते हैं एक कैंदी के बुनियादी संवैधानिक अधिकार : दिल्ली हाईकोर्ट…
नई दिल्ली, । तिहाड़ जेल में पीने के पानी और स्वच्छता की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने चार सदस्यीय समिति का गठन करते हुए कहा कि एक कैदी के बुनियादी संवैधानिक अधिकार सलाखों के पीछे भी बने रहते हैं। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने अधिवक्ता डॉ. अमित जॉर्ज, अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी, नंदिता राव और तुषार सन्नू को शामिल करते हुए निर्देश दिया कि समिति जेल के अंदर वर्तमान स्थितियों का निष्पक्ष मूल्यांकन करेगी। साथ ही परिसर के भीतर पीने के पानी, समग्र स्वच्छता और शौचालय के रखरखाव की स्थिति पर अदालत को अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराएगी। साथ ही तिहाड़ जेल के महानिदेशक (जेल) को इस प्रक्रिया में समिति का सहयोग करने और सभी आवश्यक सहायता प्रदान करके का निर्देश दिया, ताकि समिति अपना काम कर सके। अदालत ने उक्त आदेश कानूनी सेवा समिति द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। इसमें स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के साथ-साथ जेल परिसर के भीतर स्वच्छता की स्थिति बनाए रखने के मुद्दे को लेकर सवाल उठाया गया था। समिति की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि कैदियों को पीने का पानी पर्याप्त रूप से नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा जेल परिसर के अंदर स्वच्छता की स्थिति संतोषजनक नहीं है। अदालत ने मामले में समिति के साथ दिल्ली सरकार को मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश देते हुए मामले में आगे की सुनवाई 18 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…