हीथ स्ट्रीक की ‘मौत’ पर हुआ विवाद, फिक्सिंग से भी रहा नाता, जानें उनकी कहानी…
हरारे, 23 अगस्त । जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और महान ऑलराउंडर्स में शुमार हीथ स्ट्रीक का विवादों से गहरा नाता रहा है। यह विवादों का सिलसिला उनकी ‘मौत’ पर भी नहीं थमा। दरअसल, बुधवार सुबह मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि 49 साल के हीथ स्ट्रीक का निधन हो गया। वह चौथी स्टेज के कैंसर से जूझ रहे थे। कुछ महीने पहले ही जिम्बाब्वे के खेल मंत्री के बयान से पता चला था कि स्ट्रीक के पास ज्यादा समय नहीं बचा है। उनके एक दोस्त ने कहा कि कुछ समय पहले ही वह फिशिंग के लिए उनके साथ गए थे, लेकिन अब कुछ ठीक नहीं है।
इसके बाद आज जिम्बाब्वे के ही एक पूर्व क्रिकेटर हेनरी ओलंगा के ट्वीट के बाद हीथ स्ट्रीक की मौत की खबर फैल गई थी। हालांकि, कुछ ही घंटे बाद ओलंगा ने फिर एक ट्वीट किया और बताया कि स्ट्रीक जिंदा हैं और उनकी मौत को लेकर अफवाह फैलाई गई है। ओलंगा ने स्ट्रीक के साथ बातचीत का स्क्रीन शॉट डालते हुए लिखा कि वह स्ट्रीक के जिंदा होने की पुष्टि भी करते हैं। इस खबर ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। स्ट्रीक का विवादों से गहरा नाता रहा है। उनका पूरा करियर इसी तरह की चुनौतियों से भरा रहा है, जिसका उन्होंने हमेशा डट कर सामना किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार शुरुआत की थी, लेकिन अपने करियर के चरम पर पहुंचकर संन्यास ले लिया। इसके बाद कोच के रूप में क्रिकेट की सेवा की। आइए जानते हैं उनका सफर।
हीथ स्ट्रीक का अंतरराष्ट्रीय करियर
हीथ ने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत नवंबर 1993 में की थी। उनका पहला मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चिन्नास्वामी स्टेडियम में एक वनडे मैच था। इसके बाद दिसंबर 1993 में हीथ ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। वह बेहतरीन तेज गेंदबाज थे और बल्ले के साथ भी तेजी से रन बनाने में माहिर थे। 1990 से लेकर 2000 के बीच जिम्बाब्वे की टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने चरम पर थी और हीथ स्ट्रीक भी इसी टीम के सदस्य थे।
इसके बाद चीजें खराब होनी शुरू हुईं। जिम्बाब्वे के बड़े खिलाड़ियों और बोर्ड के बीच अनबन हो गई। इसका असर यह हुआ की कई सीनियर खिलाड़ी संन्यास लेकर बोर्ड से अलग हो गए। ऐसे में स्ट्रीक ने जिम्बाब्वे की कप्तानी संभाली। इस बीच उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों फॉर्मेट में अपने 200 विकेट भी पूरे किए। वह ऐसा करने वाले जिम्बाब्वे के एकमात्र क्रिकेटर हैं। साल 2004 में बोर्ड के साथ उनके संबंध भी खराब हुए और उन्होंने टीम की कप्तानी छोड़ दी। इसके कुछ समय बाद सिर्फ 31 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास का एलान कर दिया।
अपने आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच में भारत के खिलाफ हरारे टेस्ट की पहली पारी में हीथ ने जबरदस्त गेंदबाजी की थी। उन्होंने भारत की आधी टीम को पवेलियन भेजा था। हीथ ने उस मैच की पहली पारी में 32 ओवर में 73 रन देकर छह विकेट झटके थे। हालांकि, उनके शानदार प्रदर्शन के बावजूद टीम इंडिया ने वह मैच 10 विकेट से जीता था। हीथ ने अपने करियर में 65 टेस्ट और 189 वनडे मैच खेले। टेस्ट में उन्होंने 1990 रन बनाए और 216 विकेट झटके। वहीं, वनडे में स्ट्रीक ने 2943 रन बनाए और 239 विकेट लिए। टेस्ट में 73 रन देकर छह विकेट और वनडे में 32 रन देकर पांच विकेट उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी है। हीथ ने अपने करियर में सचिन तेंदुलकर को तीन बार और सौरव गांगुली को चार बार आउट किया था।
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद हीथ स्ट्रीक ने कोच के रूप में खेल की सेवा की। वह बांग्लादेश और जिम्बाब्वे की टीम के कोच रहे। आईपीएल में भी वह सनराइजर्स हैदराबाद के कोचिंग स्टाफ के सदस्य रहे। उन्होंने काउंटी क्रिकेट में समरसेट क्लब की भी कोच के रूप में सेवा की। इसके अलावा वह कोलकाता नाइट राइडर्स के कोच भी रह चुके हैं।
फिक्सिंग के मामले में दोषी
साल 2021 में आईसीसी ने उन्हें आठ साल के लिए बैन कर दिया। उन पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के भ्रष्टाचार विरोधी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के आरोप लगे थे। उन्होंने अपनी गलती मानते हुए इसकी पूरी जिम्मेदारी ली थी और माफी भी मांगी थी। पांच अलग-अलग घटनाओं के लिए उन्हें दोषी पाया गया था। इसमें बिटकॉइन के जरिए पैसे लेने की बात भी शामिल थी। स्ट्रीक को यह बिटकॉइन एक संदिग्ध आदमी ने दिए थे, जो कि फिक्सिंग से जुड़ा हो सकता था। बाद में स्ट्रीक ने अपनी सफाई में कहा था कि उन्होंने कभी मैच फिक्सिंग नहीं की थी। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि टीम की अंदरूनी जानकारी देने के बदले में उन्हें पैसे मिले थे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…