विभाजन की विभीषिका के शहीदों को भी आजादी के महोत्सव में भी याद किया जाएगा…

विभाजन की विभीषिका के शहीदों को भी आजादी के महोत्सव में भी याद किया जाएगा…

हाथरस,। 14 अगस्त 1947 को भारत का बटवारा हुआ था देश के बटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है जिसमे लाखो बहनों और भाईयो को विस्थापित होना पडा और अपनी जान तक गवानी पड़ी उन सभी लोगों को मैं श्रद्धाजलि देता हूँ। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में इस दिन को विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का एतिहासिक निर्णय लेने के लिए मा० मोदी का ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने से समाज में भेदभाव द्वेष की दुर्भावना को समाप्त कर शांति, प्रेम व एकता को बल मिलेगा। देश के बटवारे में विस्थापित होने वाले और अपनी जान गवाने वाले लाखों भाइयो और बहनों के संघर्ष को हम भूल नहीं सकते। पिछले 75 वर्षो से हम उन लाखो महिला और पुरुषो को याद किये बिना आजादी का जश्न मना रहे थे जिन्होंने अप्रिय और अव्यवस्थित विभाजन के दौरान अपनी जान गवाई थी। पिछले वर्ष देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की घोषणा के साथ अब 15 अगस्त को होने वाले भविष्य के आयोजनों में हमेशा नरसंहार के पीड़ितों की स्मृतियाँ सभी भारतीयों के मन मस्तिष्क में विद्यमान रहेंगी। भारत के विभाजन की पीड़ा को भुलाया नहीं जा सकता है जोकि भारत के लोगों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। हर भारतीय को इस दिन को याद रखना चाहिए क्योकि हमारी लाखो बहने और भाई विथापित हो गए थे और कई लोगो ने अनावश्यक नफरत के कारण अपनी जान गवां दी थी एवं अनेको लोगो ने यातनापूर्ण व्यवहार और हिंसा का सामना करना पड़ा था। तुष्टिकरण की राजनीती एवं विभाजनकारी ताकतों को कभी हावी नहीं होने देना है, जिससे कि फिर कभी ऐसी स्थिति ना आये। पंडित जवाहर लाल नेहरू की कांग्रेस सरकार द्वारा विभाजन स्वीकार करना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। भारत विभाजन के परिणाम स्वरुप 6 लाख लोग मारे गए 1.5 करोड़ लोग बेघर हुए 1 लाख से अधिक महिलाओ के साथ अनाचार हुआ। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डा० श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू लियाकत संधि के विरोध में 8 अप्रैल 1950 को मंत्रीमंडल पद से इस्तीफा दे दिया था और पूर्व में ही ये भविष्यवाणी कर दी थी कि नेहरू लियाकत समझौता विफल हो जायेगा और अंतत वही हुआ। डा० मुखर्जी जी ने आक्रोशपूर्ण शव्दों में कहा था कि कांग्रेस जो हिन्दू के समर्थन पर ही बनी थी। फिर भी वह हिन्दू हितो के लिए आवाज उठाने को पाप मानती है व मुस्लिम लीग जैसी संगठन से लड़ना अपराध मानती है। कमयुनिष्ट पार्टी ने भी मुस्लिमलीग के विभाजन की मांग का समर्थन किया एवं अपने अनेक मुस्लिम सदस्यों को निर्देश दिया कि देश के बटवारे को बौद्धिक बल प्रदान करने के लिए मुस्लिम लीग में शामिल हो जाए। कांग्रेस द्वारा निरंतर मुस्लिम लीग को मजबूत करने की अपनाई जा रही नीती को डा० भीमराव आंबेडकर ने भी कभी पसंद नहीं किया। डा० भीम राव अम्बेडकर ने यह अनुभव किया था की कांग्रेस हर हालत में मुस्लिम लीग को प्रसन्न करने में जुटी हुई थी व उनकी अनुचित मागो को भी स्वीकार करने के लिए किसी भी सीमा तक नतमस्तक होकर समझौते के लिए तैयार हो जाती थी। डा० भीम राव अम्बेडकर यह समझने में असफल रहे क्यों एक तरफ तो कांग्रेस मुस्लिम लीग की माग को स्वीकार करने को तैयार है दूसरी तरफ वंचित और शोषित वर्ग को उनके न्यायपूर्ण अधिकार देने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने अपनी पुस्तक थाट्स ओन पकिस्तान में नेहरू और तत्कालीन कांग्रेस के रबैये की आलोचना की थी। प्रेसवार्ता को मा० सांसद राजवीर सिंह दिलेर ने संबोधित किया व प्रेसवार्ता में जिला प्रभारी चौ० देवेन्द्र सिंह, जिलाध्यक्ष गौरव आर्य, मीडिया प्रभारी अनिल सिसोदिया जिला महामंत्री रुप्रेश उपाध्याय, हरीशंकर राना, प्रेमसिंह कुशवाहा सोशल मीडिया प्रमुख पवन रावत,विष्णु बघेल उपस्थित रहे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…