अतीक-अशरफ हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी…
कोर्ट की अहम टिपप्णी- कोई जरूर अपराधियों से मिला हुआ है, ऐसे तो लोगों का भरोसा उठ जाएगा…
नाबालिग बेटों को क्यों हिरासत में रखा गया है ?
नई दिल्ली/लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में यूपी सरकार से चार हफ्ते में रिपोर्ट रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए एक अहम टिपप्णी की और कहा कि मर्डर के वक्त कई पुलिसकर्मी उनकी सुरक्षा में तैनात थे, फिर भी कई शूटर आकर मार देते हैं। आखिर ये कैसे संभव हुआ ? कोई जरूर अपराधियों से मिला हुआ है। कोर्ट ने सरकार के ढीले रवैए पर नाराजगी जताई और कहा- हम जानना चाहते हैं कि जांच में अब तक क्या हुआ ? मुकदमे किस चरण तक पहुंचे हैं ? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से यह भी पूछा कि अतीक के दो नाबालिग बेटों को न्यायिक हिरासत मे क्यों रखा गया है ? अगर वो किसी अपराध में शामिल नहीं हैं तो उन्हें रिश्तेदारों को क्यों नहीं सौंपा जा सकता ?
पूर्व सांसद/माफिया अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक/हिस्ट्रीशीटर अशरफ की प्रयागराज में 15 अप्रैल को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस कस्टडी में जब अतीक और अशरफ को कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया था, तभी तीन शूटरों अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी सिंह ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाना शुरू कर दिया, घटना में दोनों भाइयों की मौके पर मौत हो गई थी। तीनों हमलावर पत्रकार बनकर पहले से ही अस्पताल पहुंच गए थे। इस घटना से दो दिन पहले अतीक का बेटा असद एनकाउंटर में मारा गया था।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जेलों से अपराध का नेक्सस चल रहा है, साथ ही सवाल किया कि आरोप पत्र में कितने लोगों को आरोपी बनाया गया है। दरअसल, यूपी सरकार ने जानकारी दी थी कि एसआईटी ने ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था, हम इस याचिका पर जल्द ही विस्तृत जानकारी देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है।सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यूपी ने कितनों को आरोपी बनाया है, एनएचआरसी के इसमें क्या निर्देश हैं। यूपी सरकार की ओर से एसआईटी की जांच होने, तीन को आरोपी बनाए जाने की बात बताई गई है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में राज्य सरकारों को सतर्क रहना चाहिए, किसी को पुलिस की सुरक्षा में मार दिया गया ऐसे में लोगों का भरोसा ही उठ जाता है।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि इस मामले में डीजीपी या अन्य किसी वरिष्ठ अफसर द्वारा हलफनामा दायर कीजिए, इसके अलावा यूपी के एडवोकेट जनरल का भी बयान दर्ज होना चाहिए। अदालत ने साफ किया है कि क्योंकि राज्य पहले ही जांच आयोग गठित कर चुका है, इसलिए कोर्ट सिर्फ दिशानिर्देश पर सुनवाई करेगा और राज्य सरकार से उसी पर सवाल किए जाएंगे।
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,