जब बदलनी हो नौकरी…

जब बदलनी हो नौकरी…

बेरोजगारी एवं कठिन आर्थिक दौर के कारण कई बार लोग ऐसे प्रोफेशन में चले जाते हैं, जहां उनकी पसंद का कोई काम नहीं होता है। फिर भी जिम्मेदारी व मजबूरी के चलते उन्हें वह नौकरी करनी पड़ती है। यह सारा खेल नेचर ऑफ जॉब का होता है। ग्रेजएशन के बाद और उससे पहले नौकरी के स्तर में काफी फर्क देखा जाता है। हो सकता है मजबूरी के चलते आपने जल्दी में वर्तमान करियर का चुनाव किया हो। अब समय है ग्रेजएशन के बूते नौकरी की तलाश नए सिरे से करें।

कुछ वर्ष पूर्व प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें तो आने वाले समय में जॉब छोड़ने व बदलने वालों की एक लम्बी जमात होगी। ये लोग अपनी नौकरी से या तो संतुष्ट नहीं होंगे या उन्हें एक बेहतर विकल्प की तलाश होगी। ऐसे में प्रोफेशनल्स चाहें तो सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनिंग के जरिए फिर से पटरी पर आ सकते हैं। कई मल्टीनेशनल अथवा कारपोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को अन्य अतिरिक्त गुण से लैस करने के लिए इनहाउस तमाम तरह की ट्रेनिंग दे रही हैं। ये कोर्स ज्यादातर डिप्लोमा स्तर के ही हैं। इन पर भी रहे ध्यान…

कमियों को नजरअंदाज न करें: कमियां हर इंसान के अंदर रहती है। कहीं कम तो कहीं ज्यादा। इसे स्वीकार करने में परहेज नहीं करना चाहिए। बल्कि उन्हें सामने लाकर उनका स्थाई हल ढूंढ़ने की कोषिष करनी चाहिए। कोई जरूरी नहीं है कि ये कमियां सिर्फ जॉब बदलने या अतिरिक्त कौशल हासिल करने के लिए ही निकाली जाएं। इन कमियों को नजरअंदाज करते रहने से आगे चलकर ये आपकी कमजोरी बन जाएंगी।

जरूरतों को पहचानें: नए जॉब के प्रति आपकी क्या अवधारणा है, भविष्य में आप उसे किस रूप में देख रहे हैं? इसकी पहचान आवश्यक है। कभी-कभी जरूरतें ही इंसान को तरक्की का रास्ता दिखाती कुछ नया करने को मजबूर करती हैं। इसके अलावा नौकरी सेवा क्षेत्र में आप फील्ड का काम करना चाहते हैं या ऑफिस का, यह भी आपकी जरूरत का एक हिस्सा हो सकते हैं। उसी के अनुरूप अपना नया मार्ग चुनें।

हिम्मत न हारें: आप पुराने जॉब से ऊब चुके हैं, पर नई नौकरी नहीं मिल रही है, तो उसके लिए हिम्मत हारकर न बैठें। बल्कि अतिरिक्त कौशल हासिल करते हुए अपनी कोशिशें जारी रखें। एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। यह सच है कि मनपसंद जॉब मिलना बहुत मुश्किल है, पर असंभव तो नहीं है। कोशिशों के दम पर कभी-कभी मुश्किल लक्ष्य भी हासिल हो जाता है।

कंपनी की वास्तविकता जांचें:- ध्यान रहे अक्सर कंपनियों को लेकर दूर के ढोल सुहाने वाली स्थिति होती है। अंदर पता करने पर स्थिति कुछ और ही होती है। कंपनी अथवा जॉब ज्वॉइन करने से पहले उसकी पूरी जानकारी एकत्र कर लें। और तभी आगे बढ़ें।

अपनी पूरी जानकारी दें:- अपनी स्किल्स व जरूरतों का पूरा ब्योरा दें, ताकि भविष्य में भेद खुलने पर आपको शर्मिंदगी न उठानी पड़े। सारे तथ्यों से अवगत कराने के बाद हो सकता है कि आपकी एक अच्छी इमेज साक्षात्कारकर्त्ता के दिमाग में बन जाए।

यह सीखने का मिलेगा मौका:-

-लीडरशिप स्किल्स
-टीम मैनेजमेंट
-मोटिवेशन स्किल्स
-नेगोसिएशन स्किल्स
-स्ट्रेस मैनेजमेंट
-टाइम मैनेजमेंट
-इंटर पर्सनल स्किल्स

ग्रेजुएशन के साथ कुछ स्किल्स भी जरूरी:- ग्रेजुएशन लेवल पर ही कई ऐसे सब्जेक्ट मसलन, साइकोलॉजी, जर्नलिज्म, साहित्यिक विषय आदि हैं जिनके आधार पर आसानी से जॉब मिल जाती है। हर कंपनी को युवा लोगों की तलाश रहती है। इसके लिए वे कैम्पस प्लेसमेंट का सहारा लेती हैं। आपको ऐसे कई छात्र मिलेंगे जिन्हें ग्रेजुएशन पूरा होने से पहले ही नौकरी का ऑफर मिल गया होगा। बशर्ते छात्रों के अंदर डिग्री के साथ-साथ कम्प्यूटर नॉलेज, अतिरिक्त लैंग्वेज की जानकारी हो। हायर एजुकेशन के बाद तो छात्रों को स्पेशलाइज्ड जॉब की तलाश होती है। जबकि ग्रेजुएशन के पश्चात उनके सामने संभावनाओं का संसार है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…