पटवारी चयन परीक्षा के माध्यम से कांग्रेस कर रही प्रदेश को बदनाम करने की कोशिश : गृह मंत्री…
भोपाल, 13 जुलाई । मप्र में इन दिनों पटवारी चयन परीक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बसपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए विधायक संजीव सिंह कुशवाह के कॉलेज में हुई पटवारी चयन परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगाए। इस मामले में पूर्व सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह ने भी गड़बड़ी के आरोप लगाए। लगातार इस परीक्षा को लेकर विपक्ष के हमलों के बाद अब सरकार की ओर जवाब आया है। मप्र सरकार के प्रवक्ता और प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पर्चियों पर नौकरियां देने वाले लोग विश्व की आधुनिकतम परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।
नौजवानों का मनोबल तोड़ रहे कांग्रेसी
भोपाल में अपने आवास पर मीडिया से चर्चा में गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कांग्रेस कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव रुदाली कर रहे हैं। इनकी कांग्रेस पार्टी का अशोकनगर का प्रवक्ता इसी पटवारी परीक्षा में फेल हो गया। उसके तथ्यहीन तर्को को तथ्य बनाकर पेश कर रहे हैं। ये(कांग्रेस) पर्चियों पर नौकरी देने वाले लोग, विश्व की आधुनिकतम चयन परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। और सीरीज में झूठ बोल रहे हैं। नौजवानों के मनोबल को तोड़ रहे हैं।
पूरा रिकॉर्ड लिखित में क्यों नहीं मांगते-नरोत्तम
गृहमंत्री ने कहा- मैं आपके सामने झूठ की श्रंखला को लाना चाहता हूं। जो यह सात टॉपर है इनमें से किसी ने भी एक ही शिफ्ट में परीक्षा नहीं दी। सबने अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा दी है। कमलनाथ, अरुण यादव एक- एक सवाल और एक- एक जवाब का, एक-एक क्लिक रिकॉर्ड होती है। ये सब रिकॉर्ड में है। आप मांगो तो.. पूरा रिकॉर्ड क्यों नहीं मांगते हैं? क्योंकि आपका झूठ सामने आ जाएगा। आपको जो भी चाहिए लिखित में दीजिए। जुबानी जमा खर्च मत करिए।
नरोत्तम मिश्रा ने कहा- कितना शर्मनाक है कि इस देश में हिंदी में दस्तखत करने पर कांग्रेस सवाल उठा रही है। कमलनाथ जी सवाल उठा रहे हैं। उनकी जवानी जो लुटियंस में निकली है इटालियन संस्कृति में रंग बस गए हैं। हिंदुस्तान में और मध्य प्रदेश में मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होने लगी। वहां हिंदी में दस्तखत नहीं होंगे तो क्या इटालियन में दस्तखत होंगे। अगला झूठ भी सुनिए कांग्रेस के लोगों ने आरोप लगाया कि हिंदी में दस्तखत करने वालों के 25 में से 25 नंबर आए। यदि आप मार्कशीट देते तो आपको पता लग जाता है कि एक के भी 25 में 25 नंबर नहीं आए कोई गड़बड़ी नहीं हो रही है। ये प्रदेश को बदनाम करने की कांग्रेस कोशिश कर रही है।
कांग्रेस ने जारी किया वीडियो
पटवारी परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों के बीच मप्र कांग्रेस ने एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में पटवारी चयन परीक्षा के सात टॉपर स्टूडेंट़्स के बीजेपी विधायक के कॉलेज से पास होने का दावा किया गया।
अरुण यादव ने 10 सवालों के जरिए पटवारी परीक्षा पर उठाए सवाल
बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने संयुक्त रुप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में हाल ही में ग्रुप-2, सब ग्रुप-4, पटवारी एवं अन्य पदों के लिए हुई परीक्षा में भाजपा नेताओं के निर्देश एवं देखरेख में जमकर धांधली हुई है, जिससे काबिल युवक-युवतियां चयनित होने के बजाय, भाजपा जिन्हें चाहती थी, उन्हें चयनित करवाया गया एवं मध्य प्रदेश फिर एक बार अपनी व्यापमं व्यवस्था के तहत काबिल युवाओं की भर्ती से महरूम रह गया।
अरुण के दस सवाल
प्रश्न-1: टॉप 10 में से 8 चयन युवक ग्वालियर-चंबल संभाग से हैं, जिनमे से 7 का सेंटर एक ही कॉलेज में था, उस कॉलेज का नाम एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट है। ऐसा कैसे हुआ? उल्लेखनीय है कि उक्त कॉलेज भाजपा विधायक संजीव सिंह का है।
प्रश्न-2: अधिकतर टॉपर्स की एक बात समान है कि उन्होंने अपने हस्ताक्षर हिंदी में किए है और वो भी स्पष्ट रूप से अपना नाम लिखा है, जबकि नए छात्र-छात्राओं में से ज्यादातर हिंदी में नाम वाले हस्ताक्षर नहीं करते, खासकर वो जिनके अंग्रेजी में नंबर अच्छे बताए गए है, ऐसा लगता है की ये सोची समझी रणनीति के तहत किए गए है, ताकि कोई अन्य व्यक्ति या सॉल्वर इतने सरल हस्ताक्षर आसानी से कर सके और परीक्षा दे सके। इन युवाओं ने हिंदी में हस्ताक्षर क्यों किए?
प्रश्न-3: एक ही परीक्षा केंद्र से इतने टॉपर्स निकले है, किंतु मीडिया में किसी टॉपर ने ना तो इंटरव्यू दिया और उनका न ही किसी कोचिंग सेंटर में उनका नाम आया कि वे किसी खास कोचिंग से पढ़े है। क्या उन्हें मीडिया से बात करने से रोका गया?
प्रश्न-4: हर शिफ्ट के 3-4 सही प्रश्नों को डिलीट किया गया है, जबकि उनके उत्तर एकदम सही हैं। ऐसा क्यों?
प्रश्न-5: नॉर्मलाइजेशन की पूरी प्रक्रिया संदेह के दायरे में है, क्योंकि एक ही शिफ्ट के अंक के कम या ज्यादा होने में भी समानता नहीं है। ऐसा कैसे संभव है?
प्रश्न-6: इस एक कालेज एनआरआई से चयन का प्रतिशत दिल्ली के मुखर्जी नगर में जो संस्थान आईएएस की कोचिंग पढ़ाते हैं, उन संस्थानों से भी ज्यादा कैसे है?
प्रश्न-7: एक चयनित युवती जिसकी अंकसूची आपके साथ साझा है, इन्होंने जब फॉर्म भरा तो शरीर पर निशान के कॉलम में अंग्रेजी में लिखा है: बनज वद उंता दवेम जबकि सही अंग्रेजी होना चाहिए: बनज उंता वद दवेमण् भाजपा जवाब दे कि इन्हे अंग्रेजी में शत प्रतिशत अंक नही मिले हैं? क्योंकि इनका अंग्रेजी का ज्ञान तो इनके फॉर्म भरते समय ही पता चल गया?
प्रश्न-8: मोदी जी मप्र की धरती पर गारंटी दे रहे थे, मगर शिवराज जी तो इधर व्यापमं घोटाले की गारंटी हैं, कृषि विस्तार अधिकारी घोटाले की गारंटी हैं, शिक्षक भर्ती घोटाले की गारंटी हैं, 220 माह में 220 घोटाले करके कीर्तिमान स्थापित कर दिया है।
जब मैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था, तब विधानसभा को घोटालों की लिस्ट मय सबूतों के सौंपी थी, आज दिनांक तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
प्रश्न-9: इस भर्ती परीक्षा में बड़ा अजीब मामला आया है कि एक सवाल था कि नर्मदा का उद्गम स्थल कहाँ से है, व्यापमं के अपनी आंसर शीट में भोपाल का चयन किया था जबकि उसका सही उत्तर आपको भी पता है कि अनूपपुर है। मगर टॉपर छात्रों ने भोपाल को सिलेक्ट किया था, अभ्यर्थियों ने जब आपत्ति जताई तब जाकर उस सवाल को हटाया गया, क्यों?
प्रश्न-10: एक बड़ा बिंदु निकलकर सामने आ रहा है कि एक अभ्यर्थी पूजा शर्मा के 185 नंबर आये हैं, जबकि व्यापमं ने ही 11 सवाल गलत होने की वजह से हटाए थे, तो इसका मतलब स्वतः 15 नंबर खुद कम हो जाते हैं, परीक्षा फिर 185 नंबर की बची थी, अब क्या कोई अभ्यर्थी 185 में से 185 नंबर किसी कंपीटिटिव एग्जाम में लेकर आ सकता है? साथ ही एप्लाइड प्रेफरेंस में 150 कोड में से चयन करना होता है तो उसमें भी स्टार्टिंग के 2 प्रेफरेंस 153-154 कैसे हो सकते हैं। यह सब फर्जीवाड़े के फॉर्म भी एक जगह से भरे गए हैं और सेंटर भी एक ही दिया गया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट...