मकान को घर बनाती है गृहिणी…

मकान को घर बनाती है गृहिणी…

एक पढ़ी-लिखी महिला घर रहने पर दूसरों पर निर्भर नहीं होती बल्कि अधिक सुघड़ गृहिणी बन कर पूरे परिवार को स्वयं पर निर्भर कर लेती है। वह अपने पति के दिल पर ही राज नहीं करती बल्कि घर का हर सदस्य उसके गुणों का कायल हो जाता है। मात्र कुकिंग और घर की सफाई ही उसके गुणों में नहीं आते बल्कि ऐसे अनेक काम हैं जिनमें वह अपना हुनर दिखा सकती है।

यदि पति अच्छा कमाते हैं, तो अपनी पढ़ाई-लिखाई का सदुपयोग करें, अपने दम पर बाहर निकल कर ही कुछ किया जाए ऐसा नहीं है बल्कि आप घर संसार को अपने दम पर संभाल लें। यदि एक नौकरी करता है तो दूसरा घर संभालता है, इस प्रकार काम का दायरा बंट जाता है जिससे जीवन के मधुर लम्हों का आनंद लेने के लिए तरसना नहीं पड़ता।

एक घर में हजारों काम होते हैं, सो एक पढ़ी-लिखी गृहिणी घर पर प्लंबिंग, इलैक्ट्रिसिटी वर्क, पेंट एवं पॉलिश तथा टूट-फूट की मुरम्मत पति की मदद के बिना खुद ही करा सकती है। घर की छोटी-मोटी जरूरतों का खुद ही ध्यान रखते हुए आप मिस्त्री या प्लंबर को बुलाकर उसे ठीक करवा लें तो पति आपके इस गुण के कायल ही हो जाएंगे।

यदि आप शिक्षित हैं और हाऊसवाइफ हैं तो अपने बच्चों की शिक्षा की तरफ ध्यान देकर इसका सदुपयोग कर सकती हैं। बच्चों को बाहर ट्यूशन पढने भेजने की अपेक्षा उन्हें स्वयं घर पर पढ़ाएं। इससे व्यर्थ के खर्च में तो बचत होगी ही, साथ ही बच्चे पढ़ाई में कैसे जा रहे हैं या किस विषय में कमजोर हैं जैसी बातों पर आपकी नजर भी रहेगी।

घर के सदस्यों के स्वास्थ्य की देखभाल एक गृहिणी से बेहतर कोई नहीं कर सकता। उनके रूटीन चैकअप, डॉक्टर्स की अप्वाइंटमैंट से लेकर अस्पताल तक की भागदौड़ इत्यादि कर वह सजगता का परिचय देती है। यदि आप घर की ए टू जैड जिम्मेदारियां संभाल लेती हैं तो पति देव स्वयं ही आप पर निर्भर हो जाएंगे क्योंकि इससे उन्हें घर की जिम्मेदारियों से फुर्सत मिलेगी। नौकरी से तो आप केवल उनकी आर्थिक मदद करती हैं परंतु पूरी तरह घर को संभाल कर आप उनकी सही मायने में संगिनी बन जाती हैं और पति भी आपसे खुश रहते हुए आपकी हर संभव मदद करने का खुद ही प्रयास करेंगे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…