मानवीय संवेदना का अंत होता जा रहा है..

मानवीय संवेदना का अंत होता जा रहा है…

आपसी समन्वय सहयोग बहुत कम देखने को मिल रहा है ऐसा क्यों?

12 फरवरी 2020 आज मानवीय संवेदना का अंत होता जा रहा है आपसी समन्वय सहयोग बहुत कम देखने को मिल रहा है ऐसा क्यों? इसके लिए देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, समाजशास्त्री, दार्शनिक, मोटिवेशनल स्पीकर, प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि पारिवारिक बिखराव की वजह से मानवीय मूल्यों में गिरावट आई है और भौतिकवाद की चमक दमक तथा मोबाइल इंटरनेट भी इसका मुख्य कारण है कैरियर काउंसलर डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पहले दादा दादी और नाना नानी के पास पूरा परिवार बैठ कर कहानी तथा किस्सों का भरपूर आनंद लेते थे बच्चे भी एक दूसरे के साथ रहते थे, बड़ों की सेवा करते थे, बड़े छोटे तथा बहन बेटी का सम्मान करते थे वस्तुओं को मिल बांट कर खाते थे परिवार के सभी लोग एक ही कमरे में धमा चौकड़ी जमा कर बैठ जाते थे और बड़ा आनंद आता था आज स्थितियां बिल्कुल उलट हो गई हैं आज माता-पिता वर्किंग है दादा-दादी और नाना-नानी से बच्चे दूर हैं बच्चों को पहले क्रैच में फिर प्रेप में और बाद में विदेश में भेजने में विश्वास रखते हैं बच्चों को ना तो प्यार मिल पा रहा है और ना ही उनकी समस्याओं का समाधान हो पा रहा है जिसकी वजह से उनका भी किसी से अटैचमेंट या मोह नहीं है उनको जहां से प्यार व स्नेह मिलता है वही के बच्चे बनकर रह जाते हैं और उनके रास्ते में भटकाव आ जाता है आज के बच्चे अच्छे स्कूल और कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए दिन-रात कोचिंग मैं लगे रहते हैं और मानवता से परे रहते हैं मोबाइल क्रांति ने तो अधिकतम खराब कर दिया है कहने को तो यह सोशल मीडिया है लेकिन सोशल मीडिया के चलते घर के तीन और चार सदस्य भी एक दूसरे से वार्तालाप सही तरीके से नहीं कर पाते हैं सास बहू के सीरियल क्राइम से जुड़े सीरियल पूरी रात दिन चलते रहते हैं टीवी चैनल पर असभ्यता और अश्लीलता झलकती रहती है फिर भी हम अपनी बहन बेटियों के साथ मिलकर उस चीज को देखकर आनंद की अनुभूति करते हैं इसी से सामाजिक बदलाव आया है और नैतिकता में गिरावट आई है उक्त विचार डॉ एमपी सिंह के अपने निजी विचार हैं डॉ एमपी सिंह अनेकों पुस्तकों के लेखक हैं तथा मैनेजमेंट गुरु के नाम से भी जाने जाते हैं यदि आपकी किसी प्रकार की कोई समस्या है तो समाधान के लिए 98105 66553 पर संपर्क कर सकते हैं

हृदयेश सिंह की रिपोर्ट…