भारत-चीन सीमा विवाद में अब सबकी निगाहें एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक पर…

भारत-चीन सीमा विवाद में अब सबकी निगाहें एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक पर…

अब तक हुई 18 दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं में नहीं निकला समाधान

पूर्वी लद्दाख में 3 साल का लंबा गतिरोध खत्म करने का फिलहाल कोई संकेत नहीं

नई दिल्ली, 25 अप्रैल। भारत और चीन के बीच अब तक हुई 18 दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बावजूद सीमा विवाद का समाधान न निकलने पर अब सबकी निगाहें एससीओ शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक पर टिक गई हैं। दोनों पक्ष जल्द से जल्द पूर्वी लद्दाख में विवादित मुद्दों का स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत तो हैं, लेकिन तीन साल के लंबे गतिरोध को समाप्त करने में आगे बढ़ने का कोई संकेत फिलहाल नहीं है।

दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों के बीच 23 अप्रैल को 18वें दौर की हुई वार्ता में चीन सीमा की रक्षा करने वाली 14वीं कोर फायर एंड फ्यूरी के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने भारत का पक्ष रखा, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल होने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति हो सके। कोर कमांडर स्तर की इस मैराथन बैठक के दौरान अपने-अपने प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही। इसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमेशा की तरह इस बार भारत और चीन की ओर कोई संयुक्त बयान नहीं आया। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने 24 अप्रैल को एक संक्षिप्त बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ प्रासंगिक मुद्दों के समाधान पर एक स्पष्ट और गहन चर्चा की, ताकि सीमा पर शांति बहाल की जा सके।

भारत-चीन सैन्य वार्ता में कोई सफलता न मिलने पर अब सभी की निगाहें नई दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मुख्य सम्मेलन से एक दिन पहले 27 अप्रैल को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उनके चीनी समकक्ष जनरल ली शांगफू के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक पर टिक गई हैं, ताकि दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी को कुछ हद तक पाटा जा सके।

शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के बाद भारत पहली बार एससीओ बैठकों की मेजबानी कर रहा है। एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक 27-28 अप्रैल को दिल्ली में होनी है। बैठक से इतर 27 अप्रैल को चीनी रक्षामंत्री ली शांगफू, रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू और राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय बैठक होने की उम्मीद है। चीनी और रूसी रक्षा मंत्रियों ने 27-28 अप्रैल को दिल्ली में होने वाली एससीओ की बैठक में भाग लेने की पुष्टि की है।

एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक के लिए चीनी रक्षामंत्री ली शांगफू की नई दिल्ली यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों का सीमा विवाद मई की शुरुआत में अपने चौथे वर्ष में प्रवेश करने वाला है। इस गतिरोध के बीच गलवान घाटी, पैन्गोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) से सेनाओं की वापसी हुई है, लेकिन चार दौर की वापसी के बावजूद अभी भी भारतीय और चीनी सेनाओं के 60 हजार से अधिक सैनिक और उन्नत हथियार लद्दाख थियेटर में तैनात हैं। दोनों देशों के बीच अब तक 18 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है, लेकिन दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर के डेप्सांग और डेमचोक सेक्टर के चारडिंग नाला जंक्शन के विवाद अभी भी बातचीत की मेज पर हैं।

पूर्वी लद्दाख सेक्टर की गलवान घाटी में 15/16 जून, 2020 को हुई खूनी झड़प ने भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को पूरी तरह पटरी से उतार दिया था। गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के पास सात घंटे तक चले घातक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इस घटना के बाद किसी चीनी रक्षामंत्री की यह पहली भारत यात्रा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 19 अप्रैल को एक कार्यक्रम में चीन के साथ देश की सीमा पर किसी भी आकस्मिक स्थिति को संभालने के लिए भारतीय सेना पर विश्वास व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि लद्दाख सेक्टर में विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत जारी रहेगी, क्योंकि तनाव कम करने का यही सबसे अच्छा तरीका है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…