पाकिस्तान: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में चुनाव स्थगित करने को असंवैधानिक ठहराया…
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इस्लामाबाद, 05 अप्रैल । पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब प्रांत में आठ अक्टूबर तक चुनाव स्थगित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को मंगलवार को असंवैधानिक करार दिया, जो संघीय सरकार के लिए एक झटका है। पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने प्रांत में मतदान के लिए 14 मई की तारीख भी तय की। इस मामले पर पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन वाली पीठ ने फैसला सुनाया।
इस फैसले से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को बल मिला है। संघीय सरकार सुरक्षा मुद्दों और आर्थिक संकट का हवाला देते हुए प्रांतीय चुनाव में देरी कर रही थी। देश के मंत्रिमंडल ने शीर्ष अदालत के फैसले को खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का उल्लेख करते हुए कहा कि 4 अप्रैल, 1979 को उनकी हत्या हुई थी और आज उसी तारीख को उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के साथ उस दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण को दोहराया गया है। नेशनल एसेंबली में शरीफ ने दोनों फैसलों की तुलना करते हुए कहा कि आज न्याय की हत्या हुई है और यह अत्यंत खेदजनक है। उन्होंने कहा कि दुनिया जानती है कि भुट्टो का मामला एक न्यायिक हत्या का था। उन्होंने कहा कि मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व न्यायाधीशों में से एक ने इसे अपने संस्मरण में स्वीकार किया था।
पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने 22 मार्च को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में विधानसभा चुनाव पांच महीने से अधिक समय के लिए टाल दिए। उसने यह फैसला नकदी की कमी का हवाला देते हुए किया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री एवं तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी अध्यक्ष इमरान खान ने इस कदम की आलोचना की थी।
शीर्ष अदालत की इमारत के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे और मुख्य प्रवेश द्वार पर पुलिस की बड़ी टुकड़ी पहरा दे रही थी। शीर्ष अदालत ने ईसीपी के फैसले को अवैध और असंवैधानिक करार दिया। अदालत ने फैसले में कहा, पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग के 22.03.2023 वाले विवादित आदेश को असंवैधानिक घोषित किया जाता है, जो बिना वैध प्राधिकार या अधिकार क्षेत्र के था, उसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं था, इसलिए उसे रद्द किया जाता है। इसमें कहा गया है, न तो संविधान और न ही कानून निर्वाचन आयोग को संविधान के अनुच्छेद 224 (2) में प्रदान की गई 90 दिनों की अवधि से आगे चुनाव की तारीख बढ़ाने का अधिकार देता है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…