इंदौर अदालत की कार्यवाही शूट करने के मामले में गिरफ्तार महिला की जमानत अर्जी पर मप्र सरकार को नोटिस…
नई दिल्ली, 17 मार्च । उच्चतम न्यायालय ने इंदौर जिला अदालत में सुनवाई के दौरान कार्यवाही की शूटिंग करने के मामले में गिरफ्तार 30 वर्षीय महिला की जमानत याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा।
पुलिस अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि महिला के तार प्रतिबंधित संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) के साथ जुड़े हैं।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सोनू मंसूरी की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
पीठ ने शुरुआत में मामले पर विचार करने में अनिच्छा जताई और याचिकाकर्ता के वकील से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘हर काम दिल्ली भेजने का चलन रुकना चाहिए। आप उच्च न्यायालय क्यों नहीं जाते।’’
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि आरोपी दो महीने से अधिक समय तक हिरासत में है और उसके लिए किसी वकील को पेश होने नहीं दिया जा रहा।
दवे ने कहा कि यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है तो शीर्ष अदालत का हस्तक्षेप करने का कर्तव्य बनता है।
तब शीर्ष अदालत ने मामले में नोटिस जारी किया और मामले में सुनवाई के लिए 20 मार्च की तारीख तय की।
मंसूरी को 28 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उसने पुलिस से कहा कि एक वकील ने उससे वीडियो बनाकर इस्लामिक समूह पीएफआई को भेजने को कहा था और इस काम के लिए उसे तीन लाख रुपये दिये गये।
पुलिस ने कहा था कि बजरंग दल के नेता तनु शर्मा से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान उसके वकील अमित पांडेय और सुनील विश्वकर्मा ने इंदौर जिला अदालत के कक्ष संख्या 42 में महिला को वीडियो शूट करते देखा।
अधिकारी ने बताया कि इंदौर निवासी मंसूरी ने पुलिस के समक्ष दावा किया कि वरिष्ठ वकील नूरजहां खान ने उसे पीएफआई को भेजने के लिए वीडियो बनाने का काम दिया था।
पुलिस के अनुसार महिला ने पुलिस से यह भी कहा कि उसे इस काम के लिए तीन लाख रुपये दिये गये थे। उन्होंने कहा कि पैसा जब्त कर लिया गया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…