पॉलिसी पर कर से राजस्व पर असर…

पॉलिसी पर कर से राजस्व पर असर…

नई दिल्ली, 04 फरवरी। बजट में यूनिट-लिंक्ड उत्पादों (यूलिप) के बजाय पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी से होने वाली आय पर कर लगाने के प्रस्ताव से जीवन बीमा कंपनियों की वृद्धि और मार्जिन पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। सरकार ने साल में पांच लाख से ज्यादा प्रीमियम वाली पॉलिसी पर कर लगाने का प्रस्ताव रखा है। दूसरी तरफ, कर लाभ पाने के लिए अब हाई-वैल्यू पॉलिसी के लिए मांग बढ़ सकती है।

बुधवार को वित्त मंत्री की घोषणा से जीवन बीमा कंपनियों के शेयरों में कमजोरी देखने को मिली। कई शेयरों में एक दिन में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आई। हालांकि गुरुवार को शेयर बाजारों पर सूचीबद्ध पांच जीवन बीमा कंपनियों में से सिर्फ दो – एचडीफसी लाइफ इंश्योरेंस और मैक्स फाइनैंशियल सर्विसेज में ही गिरावट दर्ज की गई। शेष बीमा कंपनियों – जीवन बीमा निगम (एलआईसी), आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के शेयरों में मामूली तेजी आई।

खुलासों के अनुसार, 5 लाख रुपये से अधिक के सालाना प्रीमियम वाली गैर-यूनिट लिंक्ड पॉलिसी के व्यवसाय से जुड़ी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस का योगदान वित्त वर्ष 2023 के 9 महीनों के कुल सालाना प्रीमियम का करीब 6 प्रतिशत है। वहीं मैक्स लाइफ के लिए यह अनुपात 9 प्रतिशत, एचडीएफसी लाइफ के लिए 10 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन एसबीआई लाइफ के लिए प्रभाव 1 प्रतिशत से कम हो सकता है।

एचडीएफसी लाइफ के प्रबंधन ने संकेत दिया है कि उनकी कंपनी पर बजट में की गई घोषणा का संभावित प्रभाव कुल राजस्व का 10-12 प्रतिशत होगा और मुनाफे पर इसका कम असर पड़ेगा। कंपनी अब मध्यम वर्ग के ग्राहकों को ज्यादा बीमा योजनाएं बेचने पर जोर देगी।

मैक्स लाइफ के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक प्रशांत त्रिपाठी ने कहा, ‘हम नहीं मानते कि बिक्री पूरी तरह से प्रभावित होगी, क्योंकि छोटे आकार के और वैकल्पिक बीमा उत्पादों पर ध्यान देने की वजह से बिक्री का बड़ा हिस्सा बरकरार रहने की उम्मीद है। नए व्यवसाय की वैल्यू (वीएनबी) संबंधित प्रभाव बिक्री प्रभाव के मुकाबले कम होगा, क्योंकि ज्यादा ऊंचे प्रीमियम वाली पॉलिसी कम मार्जिन से जुड़ी होती हैं।’

इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस के उप मुख्य कार्याधिकारी ऋषभ गांधी ने कहा कि इंडियाफर्स्ट लाइफ के लिए, 5 लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाली गैर-यूलिप पॉलिसी का उसके कुल व्यवसाय में एक अंक का योगदान है और इस वजह से इन योजनाओं पर कर लगने का काफी कम प्रभाव पड़ने का अनुमान है।

सरकार के निर्णय का प्रभाव मुख्य तौर पर गारंटीड रिटर्न सेगमेंट में दिखेगा, क्योंकि शेष गैर-यूलिप उत्पाद 5 लाख रुपये की कर सीमा से नीचे की श्रेणी मे आएंगे। सरकार ने शुरू में 2.5 लाख रुपये से अधिक के प्रीमियम वाली पॉलिसी के लिए परिपक्वता पर हासिल होने वाली यूलिप प्राप्तियों पर कर छूट समाप्त कर दी थी।

ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बीमा कंपनियों को इस सेगमेंट में अपने मार्जिन में कमी से सब्र करना होगा और उन्हें प्रतिस्पर्धी उत्पादों की पेशकश पर जोर देना होगा जिससे कि एचएनआई से कोष का प्रवाह ज्यादा प्रभावित न हो।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…