बाबा रामदेव के नमाज वाले बयान पर सपा सांसद ने दी कुरान पढ़ने की सलाह…
नई दिल्ली, 03 फरवरी। योगगुरु बाबा रामदेव के इस्लाम और मुसलमानों पर दिए बयान पर बवाल मच गया है। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जहां रामदेव के बयान की आलोचना की तो सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने आरोप लगाया कि रामदेव बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने बाबा रामदेव को कुरान पढ़ने की भी सलाह दी।
दरअसल, बाबा रामदेव ने राजस्थान के बाड़मेर में आयोजित एक धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि इस्लाम धर्म मतलब सिर्फ नमाज पढ़ना है। मुसलमानों के लिए सिर्फ नमाज पढ़ना जरूरी है और नमाज पढ़ने के बाद कुछ भी करो, सब जायज है। चाहें हिंदुओं की लड़कियों को उठाओ, चाहें जिहाद के नाम के आतंकवादी बनकर जो मन में आए वो करो। वहीं ईसाई धर्म पर बोलते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि दिन में भी चर्च में जाकर मोमबत्ती जलाओ, सारे पाप धुल जाएंगे। लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा कुछ नहीं होता।
सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने कहा, बाबा रामदेव फर्जी बातें कर रहे हैं उनको इस्लाम के बारे में कुछ पता नहीं है। बाबा रामदेव को कुरान शरीफ पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देकर बाबा रामदेव बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
वे लोगों को धोखे में लाकर बीजेपी की मदद कर रहे हैं और 2024 चुनाव में जीत दिलाने चाहते हैं। सपा सांसद ने आगे कहा, राहुल गांधी ने जो मेहनत की है, उससे बीजेपी को खतरा है। अगर मुसलमान गुनाह करता है तो उसे इस दुनिया में सजा मिलेगी और मरने के बाद भी सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि मजहब और राजनीति अलग है मजहब के रास्ते में सियासत को लाना ठीक नहीं है सियासत और मजहब अलग-अलग हैं।
वहीं, मुस्लिम स्कॉलर मौलाना सूफियान निजामी ने कहा, हमारे मुल्क में एक फैशन चला है, धर्म संसद के नाम पर अधर्म की बातें फैलाई जाएं और वहां पर मुसलमानों और इस्लाम पर छींटाकशी की जाए। धार्मिक लोगों का और धर्म संसद का यह मकसद नहीं होता है कि किसी के भी मजहब के खिलाफ या मुसलमानों के खिलाफ कोई टिप्पणी की जाए। अगर आपके पास अपने मजहब की कुछ अच्छी बातें हैं तो आप वह लोगों तक पहुंचाने का काम करें। बिना जरूरत दूसरे मजहब खास तौर पर मुसलमानों पर जो टिप्पणी की जा रही हैं, वह किसी भी सूरत में यह मुनासिब नहीं है।
उन्होंने कहा, जहां तक बाबा रामदेव की बात है, यह उनको खुद तय करना है वह धर्मगुरु हैं या वह व्यापारी हैं या एक राजनेता। क्योंकि जिस तरीके की जुबान इस्तेमाल कर रहे हैं यकीनी तौर पर वह किसी धार्मिक या साधु संत से ताल्लुक रखने वाले संत समाज की नहीं हो सकती। यह राजनीतिक व्यक्ति की जुबान हो सकती है। देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि ऐसे लोग धर्म गुरु कहलाने के लायक नहीं हैं। उन्हें मुसलमानों से माफी मांगनी चाहिए। अगर वे माफी नहीं मांगते तो देश के मुसलमानों से अपील है कि वे पतंजलि के सभी प्रोडक्ट का बायकॉट करें।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…