सरकार गुलामी के निशान से मुक्ति दिलाने की कोशिश में…पढ़ें राष्ट्रपति के अभिभाषण की 5 अहम बातें…
नई दिल्ली, 31 जनवरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को अगले 25 वर्ष में ऐसे राष्ट्र का निर्माण करने के लिए लोगों से उनके सर्वोत्तम प्रयास करने का अनुरोध किया जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय हो। राष्ट्रपति ने यह बात आज बजट सत्र के पहले दिन संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए अपने पहले अभिभाषण में कही।
उन्होंने कहा, ‘हमें ऐसा भारत बनाना है जो आत्मनिर्भर हो और जो अपने मानवीय दायित्वों को पूरा करने में समर्थ हो।” उन्होंने कहा कि सरकार ने देश की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरा होने के अंतिम 25 वर्षों को ‘‘अमृत काल” की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अतीत के गौरव से भी जुड़ा हो और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय हो।” उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के करीब नौ वर्षों के शासनकाल में भारत के लोगों ने कई सकारात्मक बदलाव पहली बार देखे हैं। उन्होंने कहा कि अमृत काल की 25 साल की अवधि आजादी का स्वर्णिम काल और विकसित भारत के निर्माण का समय है।
उन्होंने कहा कि भारत अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए अन्य लोगों पर निर्भर रहा करता था किंतु अब वह वैश्विक समस्याओं का समाधान कर रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को वह बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं जो दशकों से गायब थीं और देश भर में आधुनिक आधारभूत ढांचे का निर्माण हो रहा है जिसकी समाज लंबे समय से आकांक्षा कर रहा था। उन्होंने कहा, ‘भारत के पास आज एक ऐसी सरकार है जो स्थिर, निर्भय और निर्णायक है जो बड़े सपनों को पूरा करने के लिए काम कर रही है। इसके पास एक ऐसी सरकार है जो ईमानदारी का सम्मान करती है, लोगों की समस्याओं का समाधान करती है और उन्हें स्थायी रूप से शक्तिसंपन्न बनाने के लिए काम करती है।’
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने समाज के वंचित वर्गों की आकांक्षाओं को पूरा किया है। मुर्मू ने कहा कि आज सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि हर भारतीय का आत्मविश्वास शीर्ष पर है एवं भारत के प्रति विश्व का नजरिया बदला है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान संसद के केंद्रीय कक्ष में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के विभिन्न मंत्री, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्यसभा में नेता सदन पीयूष गोयल और विभिन्न पार्टियों के नेता एवं सांसद मौजूद थे।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एवं पार्टी के कुछ अन्य नेता श्रीनगर में खराब मौसम के कारण उड़ानों में विलंब के चलते राष्ट्रपति अभिभाषण शुरू होने के समय केंद्रीय कक्ष में नहीं पहुंच पाये।
सरकार छोटे किसानों के साथ मजबूती से खड़ी
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार देश के छोटे किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है। मुर्मू ने संसद के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार 11 करोड़ छोटे किसानों को सशक्त करने में जुटी हुई है। पीएम किसान योजना के तहत छोटे किसानों को अब तक 2.25 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी गई है। इनमें तीन करोड़ महिला लाभार्थी हैं जिन्हें 54 हजार करोड़ रुपये की मदद दी गई है।
उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिक मदद के लिए किसान क्रेडिट कार्ड का कवरेज बढाया गया है। इसका लाभ पशुपालकों और मत्स्यपालकों को भी दिया गया है। किसानों के लिए किसान उत्पादक संगठन कर भी गठन किया गया है। इसके साथ ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढाया गया है।
देश में पहली बार महिलाओं की संख्या पुरूषों से ऊपर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि भारत में महिलाओं की संख्या पहली बार पुरूषों से अधिक पहुंच गयी है और महिलाएं हर मोर्चे पर बढ चढ कर देश को आगे बढाने में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं। मुर्मू ने कहा, ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता आज हम देख रहे हैं। देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हुई है एवं महिलाओं का स्वास्थ्य भी पहले के मुकाबले और बेहतर हुआ है।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे यह देखकर गर्व होता है कि आज की हमारी बहनें और बेटियां उत्कल भारती के सपनों के अनुरूप विश्व स्तर पर अपनी कीर्ति पताका लहरा रही हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी कार्यक्षेत्र में महिलाओं के लिए कोई बंदिश न हो। आज महिलाओं के लिए खनन कार्य से लेकर सेना के अग्रिम मोर्चे तक सभी क्षेत्रों को भर्ती के लिए खोल दिया गया है। सैनिक स्कूलों से लेकर मिलिट्री ट्रेनिंग स्कूलों तक में अब हमारी बेटियां पढाई और प्रशिक्षण कर रही हैं।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में महिलाओं के लिए कार्य परिस्थितियों को सुगम बनाने के सरकार के निर्णयों का भी उल्लेख किया और कहा, ‘यह मेरी सरकार ही है जिसने मातृत्व अवकाश को बारह सप्ताह से बढाकर 26 सप्ताह किया है।’’मुर्मू ने अपने गृह प्रांत ओड़शिा की सुप्रसिद्ध कवयित्री उत्कल भारती कुंतला कुमारी साबत की सौ वर्ष पहले की पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘वसुंधरा – तले भारत रमणी नुहे हीन नुहे दीन, अमर कीरति कोटि युगे केभें जगतुं नोहिब लीन” यानी भारत की नारी पृथ्वी पर किसी की भी तुलना में न तो दीन है और न ही हीन है तथा संपूर्ण जगत में उसकी अमर कीर्ति युगों युगों तक कभी लुप्त नहीं होगी यानी सदैव बनी रहेगी।’
सीमावर्ती क्षेत्रों को विकास से मिली नई ऊर्जा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि देश के सीमावती क्षेत्रों में विकास को गति मिली है जिससे वहां विकास की गतिविधियां बढ़ने के साथ ही दूर दराज के क्षेत्रों में लोगों का आत्मविश्वास तेजी से बढ़ रहा है। मुर्मू ने मंगलवार को बजट सत्र के पहले दिन केंद्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए जो कदम उठाए हैं, उससे पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ ही सभी सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास हुआ है और वहां के लोग विकास की एक नई गति का अनुभव कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती गांवों तक बेहतर सुविधाएं पहुंचाने के लिए सरकार ने गतिशील ग्रामीण कार्यक्रम पर काम शुरू किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा की द्दष्टि से भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अभूतपूर्व ढांचागत विकास बीते सालों में किया गया है और इससे भी इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति मिल रही है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘ नार्थ ईस्ट और जम्मू-कश्मीर में तो दुर्गम परिस्थियों के साथ-साथ अशांति और आतंकवाद भी विकास के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी। मेरी सरकार ने स्थायी शांति के लिए भी अनेक सफल कदम उठाए हैं और भौगोलिक चुनौतियों को भी चुनौती दी है।’’ उन्होंने कहा कि पर्वतीय और दूर-दराज के क्षेत्रों को रेल तथा अन्य यातायात की सुविधाओं से जोड़ा गया है, जिससे वहां के लोगों में नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है और उन्हें विकास की अनुभूति हुई है।
आतंकवाद पर भारत के रूख को समझ रही है दुनिया
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया है और उसकी आवाज को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत ने आतंकवाद को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया है उसको भी आज दुनिया समझ रही है। इसलिए आतंकवाद के विरुद्ध भारत की आवाज़ को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत में पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद काउंटर-टेररिज्म कमेटी की एक विशेष बैठक आयोजित की गई। इसमें भी भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी भूमिका को स्पष्ट किया। साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी चिंताओं को भी मेरी सरकार गंभीरता से पूरे विश्व के सामने रख रही है।’
स्थायी शांति के लिए आतंकवाद के खात्मे को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार का साफ मानना है कि स्थाई शांति तभी संभव है, जब हम राजनीतिक और रणनीतिक रूप से सशक्त होंगे। इसलिए अपनी सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण पर हम निरंतर बल दे रहे हैं।’
आयुष्मान भारत और जनऔषधि परियोजना से लोगों को एक लाख करोड़ की मदद
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीमारी को गरीबी का एक बहुत बड़ा कारण बताते हुये आज कहा कि आयुष्मान भारत और जनऔषधि परियोजना से देशवासियों को एक लाख करोड़ रुपये की मदद हुयी है। राष्ट्रपति ने बजट सत्र के शुभारंभ के मौके पर आज संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुये कहा कि गंभीर बीमारी से गरीब परिवार का हौसला पूरी तरह से टूट जाता है, पीढि़यां कर्ज में डूब जाती हैं। गरीब को इस चिंता से मुक्त करने के लिए राष्ट्रव्यापी आयुष्मान भारत योजना शुरु की गई। इसके तहत 50 करोड़ से अधिक देशवासियों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना ने देश के करोड़ों गरीबों को और गरीब होने से बचाया है, उनके 80 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं। आज देशभर में करीब नौ हजार जनऔषधि केन्द्रों में बहुत कम कीमत में दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे बीते वर्षों में गरीबों के करीब 20 हजार करोड़ रुपए बचे हैं। यानि सिफर् आयुष्मान भारत और जनऔषधि परियोजना से ही देशवासियों को एक लाख करोड़ रुपए की मदद हुई है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…