गर्मियों की संजीवनी बूटी पुदीना…
गहरे हरे रंग की पत्तियों वाले पुदीने की उत्पत्ति यूरोप से मानी गयी है। प्राचीन काल में रोम, यूनान, चीनी और जापानी लोग पुदीने का प्रयोग विभिन्न औषधियों के तौर पर किया करते थे। इन दिनों भारत, इंडोनेशिया और पश्चिमी अफ्रीका में बड़े पैमाने पर पुदीने का उत्पादन किया जाता है। खासकर गर्मियों में पैदा होने वाला पुदीना औषधीय और सौंदर्योपयोगी गुणों से भरपूर है। इसे भोजन में रायता, चटनी तथा अन्य विविध रूपों में उपयोग में लाया जाता है। आइये डालते हैं पुदीने के औषधीय गुणों पर एक नजर:-
-पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नींबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की हर बीमारियों में आराम दिलाता है।
-पुदीने का रस काली मिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खांसी और बुखार में राहत मिलती है।
-पुदीने की पत्तियां चबाने या उनका रस निचोड़कर पीने से हिचकियां बंद हो जाती है।
-सिरदर्द में ताजी पत्तियों का पेस्ट माथे पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
-मासिक धर्म समय पर न आने पर पुदीने का सुखी पत्तियों के चूर्ण को शहद के साथ समान मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार नियमित रूप से सेवन करने पर लाभ मिलता है।
-पेट संबंधी किसी भी प्रकार का विकार होने पर एक चैथाई चम्मच पुदीने के बीज खाएं अथवा 1 चम्मच पुदीने के रस को 1 कप पानी में मिलाकर पीएं।
-अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिलचाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और आधा चम्मच इलायची पाउडर को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है।
-पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुख की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं।
-एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच सिरका और एक चम्मच गाजर का रस एक साथ मिलाकर पीने से श्वांस संबंधी विकार दूर होते हैं।
-पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…