ओवेरियन सिस्ट जानकारी से ही बचाव संभव…
हर महीने पीरियड के दौरान अंडे के बनने और खंडित होने की प्रक्रिया में वे कभी- कभी बड़े आकार के हो जाते हैं। इसे ही सिस्ट कहते हैं। ये दो-तीन सप्ताह में खत्म हो जाते हैं। अक्सर अंडा बननेवाली दवाइयों के प्रयोग से भी अंडाशय में सिस्ट बन जाता है। इसका प्रमुख लक्षण पेट के निचले हिस्से में दर्द होना है। इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे रही हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मीना सामंत।
अल्ट्रासाउंड के बढ़ते प्रचलन के कारण ओवेरियन सिस्ट का दिखायी देना भी सामान्य हो गया है। यह एक तरफ तो महिला को सचेत करता है, वहीं दूसरी ओर अनावश्यक चिंता में भी डालता है। अंडाशय में सिस्ट का आकार 2-3 सेंटीमीटर से लेकर पूरे पेट को घेर सकने वाला हो सकता है। सिस्ट फंक्शनल अथवा बिनाइन (नॉन कैंसरस) होते हैं। हर महीने अंडे के बनने और खंडित होने की प्रक्रिया में वे कभी- कभी बड़े आकार की हो जाती हैं। ये दो-तीन सप्ताह में खत्म हो जाती हैं। कभी-कभी अंडा बनने वाली दवाइयों के प्रयोग से भी सिस्ट बन जाता है।
ज्यादातर में सजर्री जरूरी:- यदि किसी ओवरी में सिस्ट के कारण लक्षण उत्पन्न होते हैं या सिस्ट का आकार 10 सेमी से अधिक है तो इसके इलाज की आवश्यकता होती है।
एंडोमेट्रीयोटिक: इसमें हार्मोन की गोलियों आथवा इंजेक्शन द्वारा दबाया जाता है। इसे लेप्रोस्कोपी अथवा पेट के ऑपरेशन से निकालना अधिक सफल और पूर्ण इलाज है।
डरमॉइड: इस प्रकार के सिस्ट में 15 – 20 प्रतिशत मामलों में ब्लीडिंग होती है। इसे सजर्री द्वारा निकालना जरूरी होता है। म्यूसिनस एवं सीरस सिस्ट अंडाशय के टय़ूमर की श्रेणी में आते हैं। 10ः मामलों में ये कैंसर भी हो सकते हैं। इसका इलाज भी सजर्री कर के इन्हें निकालना ही है।
फोड़ा: ओवरी के संक्रमण से ग्रसित हो जाने पर इसमें फोड़ा हो जाता है। इसके लक्षणों में बुखार और पेट में दर्द हो सकता है। इसके लिए एंटीबायोटिक या ऑपरेशन की आवश्यकता होती है।
ओवरी में कैंसर: यह गंभीर बीमारी है। इसके लक्षण दिखायी नहीं देते हैं और बीमारी काफी आगे बढ़ जाती है।
यदि परिवार में पहले कभी किसी को कैंसर हुआ है तो समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए। यदि सिस्ट रजोनिवृति के बाद दिखायी दे, ठोस हो और कई सारी हो, पेट में पानी भर जाये या रक्त में सीए 125 नामक तत्व की मात्र बढ़ जाये तो ओवरी में कैंसर का अंदेशा बढ़ जाता है। ऐसा होने पर बायोप्सी की जाती है। इन लक्षणों के उभरने पर फौरन अपने डॉक्टर से मिलें।
प्रमुख सिस्ट इस प्रकार हैं:-
-एंडोमेट्रीयोटिक सिस्ट
-डरमॉइड सिस्ट
-म्यूसिनस
-सीरस
इसके प्रमुख लक्षण:-
-पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
-पेशाब करने में दिक्कत होना।
-पेट में अचानक तेज दर्द होना और उल्टी होना।
-मासिक के साथ ही तेज दर्द 4-5 दिनों तक रहना।
-शौच के समय और सहवास के समय दर्द होना।
इन बातों का रखें ध्यान:-
-95 प्रतिशत अंडाशय सिस्ट बिनाइन (नॉन कैंसरस) होते हैं।
-इलाज आकार और लक्षण पर निर्भर करता है।
-अनावश्यक तौर पर अंडाशय नहीं निकालने चाहिए।
-ओवरी के कैंसर के प्रति सचेत रहें। अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…