विदेश मंत्रालय के ‘नो इंडिया’ कार्यक्रम के तहत अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने किया आर्च का दौरा…

जयपुर,। करीब पन्द्रह देशों से आये चालीस अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित 62वें ‘नो इंडिया’ कार्यक्रम के तहत यहां आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस का दौरा किया हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को भारत में प्रचलित डिजाइन और हस्तशिल्प के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए आर्च कॉलेज में मंगलवार को यह दौरा आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान आर्च कॉलेज के छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय अतिथियों के लिए कैंपस टूर, वर्कशॉप और इंटरेक्टिव सेशन आयोजित किए गए। छात्रों ने पूरे परिसर में प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन किया और कॉलेज के विभिन्न विभागों, आभूषण, इंटीरियर, फैशन और ग्राफिक्स के छात्रों द्वारा किए गए डिजाइन कार्य के बारे में बताया गया।
विदेश मंत्रालय ने नो इंडिया कार्यक्रम वर्ष 2004 में आरंभ किया था। यह कार्यक्रम विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के 18 से 30 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं को देश की संस्कृति, उपलब्धियों और विकास से परिचित कराने के उद्देश्य के साथ आयोजित किया जाता है। यह कार्यक्रम भारतीय मूल के छात्रों और युवा प्रोफेशनल्स को भारत आने और अपने विचारों, अनुभवों और अपेक्षाओं को साझा करने और समकालीन भारत को जानने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है।
आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस ने इन अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के लिए विभिन्न कार्यशालाओं और सत्रों का आयोजन किया। आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस के सहायक निदेशक (एचआर एंड ऑपरेशंस) मनन सुराना ने भी इन प्रतिनिधियों के साथ एक वार्तालाप का सत्र आयोजित किया और इस दौरान श्री सुराना ने उन्हें डिजाइन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय भागीदारी, सहयोग, सदस्यता और परियोजनाओं के विषय में बताया। इस दौरान भारत में डिजाइन शिक्षा में रूप और सुधार और आर्च की केन्द्र सरकार के साथ मिलकर किये जाने वाले कार्यक्रमों की भी चर्चा की गई।
इस अवसर पर आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस की संस्थापक और निदेशक अर्चना सुराना ने भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ बात की और पहली पीढ़ी के उद्यमी होने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे डिजाइन जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और किसी व्यक्ति के अपनी मातृभूमि से संबंध के पीछे एक प्रमुख कारण हो सकता है। उन्होंने हर क्षेत्र में रचनात्मक पहलू और हर क्षेत्र को डिजाइन से कैसे जोड़ा जाता है, इस पर भी प्रकाश डाला।
सत्र के दौरान इज़राइल से आये शालोम बार लिनोर ने बताया कि उनका देश तकनीकी रूप से उन्नत है और उच्च शिक्षा में डिज़ाइन के मुख्यधारा के विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। गुयाना की यमा सिंह ने कहा कि उनके देश में डिजाइन के क्षेत्र में कोई प्रमाणित उच्च स्नातक करने के अवसर नहीं हैं और इसलिए गुयाना के छात्र डिजाइन शिक्षा के लिए भारत का रुख कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने कॉलेज में आयोजित थेवा ज्वेलरी कार्यशाला में भी भाग लिया और कास्टिंग और मॉडलिंग, ब्लॉक प्रिंटिंग, प्राकृतिक रंगाई, आभूषण तामचीनी, और हाथ बुनाई की तकनीकों को समझा। आर्च के विद्यार्थियों के साथ बातचीत के दौरान प्रतिनिधि यह जानकर बहुत प्रभावित हुए कि भारत में छात्र विभिन्न प्रोटोटाइप और उत्पादों को डिजाइन करने के लिए कई प्रकार की नवीनतम पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…