जी-20 में डिजिटल पर रहेगा बल…

जी-20 में डिजिटल पर रहेगा बल…

नई दिल्ली, 12 नवंबर। केंद्र सरकार अगले साल यहां आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक साधनों पर केंद्रित एक अलग इकाई रखने की योजना बना रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि इसके तहत अन्य देशों को इंडिया स्टैक की विशेषज्ञता एवं आर्किटेक्चर की पेशकश की जाएगी।

भारत द्वारा पेश की गई दो सबसे बड़ी डिजिटल सार्वजनिक साधनों में ओपन सोर्स आर्किटेक्चर ऑफ आधार और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) शामिल हैं। सरकार देश भर में भुगतान, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और कल्याणकारी योजनाओं के तहत हस्तांतरण में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के बाद वैश्विक स्तर पर क्यूआर-आधारित सत्यापन एवं भुगतान सेवाओं का विस्तार करने की कोशिश कर रही है।

सूत्रों ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान डिजिटल सार्वजनिक साधनों पर केंद्रित एक अलग इकाई होने से इंडिया स्टैक के प्रौद्योगिकी समाधान को लागू करने के फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने में भी मदद मिलेगी।

इंडिया स्टैक में सरकार समर्थित सेवाओं जैसे आधार, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), ई-साइन, डिजिलॉकर आदि के ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) शामिल हैं। ओपन-सोर्स मॉडल ने बड़े पैमाने पर कंप्यूटर भाषाओं के अलावा आर्किटेक्चर, एपीआई, लाइब्रेरी या लेक्सिकॉन, यूजर इंटरफेस और ऐप तैयार किए हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हरेक दो सप्ताह में एक बार विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडलों का दौरा होता रहता है। आधार जैसी सेवाओं का अनोखापन यह है कि वे एक ओपन-सोर्स आर्किटेक्चर पर संचालित हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि यह काफी विश्वसनीय और सस्ती है। इसने अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों में काफी दिलचस्पी पैदा की है।’

ओपन नेटवर्क का उपयोग करने के पीछे विचार यह है कि डिजिटल परिवेश के सभी सदस्यों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराए जा सकें। ऐसे में ऐप्लिकेशन डेवलपर इन्फ्रास्ट्रक्चर, मंजूरियों और ऐक्सेस के बारे में चिंता करने के बजाय बेहतर उपभोक्ता अनुभव और उत्पादों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘कोई भी देश अपने यहां आईटी प्रणालियों की परिपक्वता स्तर और रुचि के आधार पर इंडिया स्टैक के विभिन्न तत्वों को अपना सकते हैं।’

यह खबर ऐसे समय आई है जब कुछ ही दिन पहले वाशिंगटन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं और ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस के लिए भारत का ओपन-सोर्स नेटवर्क उन देशों के लिए उपलब्ध था जिन्हें इसकी आवश्यकता थी। सितंबर 2022 तक कुल मासिक यूपीआई लेनदेन की संख्या बढ़कर 7.30 अरब हो गई जिनका कुल मूल्य 12,11,582 करोड़ रुपये है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…