महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिए समान शिक्षा नीति की याचिका निरर्थक : न्यायालय…

महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिए समान शिक्षा नीति की याचिका निरर्थक : न्यायालय…

नई दिल्ली, 03 नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 2020 की उस याचिका को “निरर्थक” करार दिया, जिसमें कोरोनो वायरस महामारी के दौरान भेदभाव और डिजिटल विभाजन से बचने के लिए प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिए समान शिक्षा नीति की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा कि कोविड-19 का काल अब खत्म हो गया है।

पीठ ने कहा, “समय बीतने के साथ यह मामला निरर्थक हो गया है क्योंकि जिस मुद्दे को संबोधित करने की मांग की गई थी वह कोविड-19 के दौरान प्रवासियों के बच्चों की शिक्षा से जुड़ा था। याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया है।”

शीर्ष अदालत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘गुड गवर्नेंस चैंबर्स’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि कोरोनो वायरस महामारी के दौरान प्रारंभिक शिक्षा को विनियमित करने के लिए उठाए गए कदम अपर्याप्त थे।

एनजीओ ने छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की थी। प्रारंभिक शिक्षा को संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। न्यायालय ने अगस्त 2020 में याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…