एलएसी के पास न्योमा एयरबेस अपग्रेड करेगी वायु सेना, मंजूरी का इन्तजार…
एलएसी से 50 किमी. की दूरी पर होने के कारण यह एयरबेस रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण…
बीआरओ करेगा एयरफील्ड का निर्माण, चीन के दुस्साहस का जवाब देने में होगी आसानी…
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर। चीनी बुनियादी ढांचे का मुकाबला करने के लिए भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से महज 50 किमी. की दूरी पर न्योमा एयरफील्ड को अपग्रेड करेगा। इसके बाद वायु सेना यहां से लड़ाकू विमानों का संचालन करने के साथ ही दुश्मनों के किसी भी दुस्साहस से निपटने की क्षमता को मजबूत करेगी। यह एयरबेस चीन सीमा पर एलएसी के सबसे नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण भी है।
पूर्वी लद्दाख सीमा के पास 18 सितंबर, 2009 को शिलान्यास किये गए न्योमा एयरफील्ड को अपग्रेड करने का फैसला चीनी बुनियादी ढांचे की विकास गतिविधियों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। चीन सीमा से 50 किमी. से कम दूरी पर न्योमा एयरबेस अपग्रेड होने के बाद क्षेत्र में लड़ाकू और प्रमुख परिवहन विमानों के संचालन करने में आसानी होगी। इस हवाई क्षेत्र से चीन के किसी भी दुस्साहस पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम होगी। चीन के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद से न्योमा हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल सैनिकों और आपूर्ति के परिवहन के लिए किया गया है। चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टरों ने चीन सीमा पर तैनात सैनिकों की सहायता के लिए नॉन-स्टॉप काम किया है।
न्योमा एयरबेस के मुख्य संचालन अधिकारी ने कहा कि यह एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड न्योमा में हवाई संचालन बुनियादी ढांचा बलों की संचालन क्षमता को बढ़ाएगा। वायु सेना के ग्रुप कैप्टन अजय राठी ने हाल ही में न्योमा जैसे एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के महत्व को समझाया था। राठी का मानना है कि न्योमा एएलजी का वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब होने के कारण रणनीतिक महत्व है। यह लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को पाटता है, जिससे पूर्वी लद्दाख में सैनिकों और सैन्य सामानों को पहुंचाने में आसानी होगी।
एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि एएलजी (उन्नत लैंडिंग ग्राउंड) को जल्द ही लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए अपग्रेड किया जा रहा है, क्योंकि अधिकांश आवश्यक मंजूरी और अनुमोदन पहले ही आ चुके हैं। केंद्र की मंजूरी मिलने के बाद योजना के अनुसार नए हवाई क्षेत्र और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) करेगा। भारत एलएसी से कुछ ही मिनटों की दूरी पर दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा सहित पूर्वी लद्दाख में हवाई क्षेत्र विकसित करने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…