सरकार की नीतियों के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले संगठनों के खिलाफ की कार्रवाईः गृहमंत्री…
-सूरजकुंड में दो दिवसीय चिंतन शिविर में राज्यों के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और उपराज्यपाल शामिल…
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि केंद्र ने देशविरोधी गतिविधियों, धर्मांतरण, विकास परियोजनाओं का राजनैतिक विरोध या सरकार की नीतियों के खिलाफ दुष्प्रचार करने में लिप्त कुछ संगठनों पर कार्रवाई की है और वर्ष 2020 में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) में हुए संशोधन के तहत विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग को रोकने एवं संगठनों की प्रभावी निगरानी संभव हुई है।
शाह ने हरियाणा के सूरजकुंड में दो दिवसीय चिंतन शिविर को संबोधित किया। इस दो दिवसीय चिंतन शिविर में राज्यों के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और संघशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और प्रशासक भाग ले रहे हैं।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से आयोजित ये चिंतन शिविर देश के सामने मौजूद सभी चुनौतियों, जैसे, साइबर अपराध, नारकोटिक्स का प्रसार और सीमापार आतंकवाद आदि का मिलकर सामना करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि आज अपराधों का स्वरूप बदल रहा है और ये सीमारहित हो रहे हैं, इसीलिए सभी राज्यों को मिलकर एक साझा रणनीति बनाकर इसके खिलाफ लड़ना होगा। इस साझा रणनीति को बनाने और इस पर अमल के लिए मोदी सरकार ‘सहकारी संघवाद’, ‘पूरी सरकार’ तथा ‘टीम इंडिया’ एप्रोच के तहत केंद्र और राज्यों में 3सी यानी कोऑपरेशन, कोआर्डिनेशन, कोलैबोरेशन को बढ़ावा दे रही है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के सामने मौजूद चुनौतियों से लड़ने के लिए उपलब्ध आतंरिक सुरक्षा के सभी संसाधनों का उचित उपयोग करने की आवश्यकता है। इसके लिए रिसोर्स ऑप्टिमाईजेशन, रिसोर्स का रैशनल उपयोग तथा रिसोर्स का इंटीग्रेशन करना होगा जिससे राज्यों के बीच समन्वय और बेहतर होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थईस्ट, जो पहले कभी हिंसा और अशांति के हॉट स्पॉट होते थे, वो अब विकास के हॉट स्पॉट बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 8 सालों में नॉर्थईस्ट में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और 2014 के बाद से उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत तथा सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या में 60 प्रतिशत और नागरिकों की मृत्यु में लगभग 90 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा एनएलएफटी, बोडो, ब्रू, कारबी आंगलोंग समझौते करके क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं जिनके अंतर्गत 9 हजार से अधिक उग्रवादियों ने सरेंडर किया है। उन्होंने कहा कि नॉर्थईस्ट में शांति बहाल होने से 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों से एएफएसपीए को हटा लिया गया है।
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति में सुधार पर शाह ने कहा कि इन क्षेत्रों में हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी आई है और इन घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में 85 प्रतिशत से अधिक की कमी दर्ज की गई है
शाह ने आगे बताया कि वर्ष 2024 से पहले सभी राज्यों में एनआईए की शाखा स्थापित करके आतंकवाद-रोधी नेटवर्क खड़ा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। एनआईए और यूएपीए कानूनों में संशोधन करके व्यक्तिगत आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि एनआईए को अतिरिक्त प्रादेशिक क्षेत्राधिकार दिया गया है और इसके साथ ही एजेंसी को आतंकवाद से अर्जित या संबंधित संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी प्रदान किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहाक वर्ष 2024 तक देश के सभी राज्यों में एनआईए की शाखाओं को स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि नारकोटिक्स के खिलाफ मोदी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं और पिछले 8 वर्षों में 3 हजार केस दर्ज किए गए हैं जबकि लगभग 20 हजार करोड़ रूपए से अधिक मूल्य की ड्रग्स जब्त की गई है।
अमित शाह ने कहा कि साइबर अपराध आज देश और दुनिया के सामने बहुत बड़ा खतरा है और इसके खिलाफ लड़ाई में गृह मंत्रालय कमर कस कर तैयार है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय सीआऐरपीसी, आईपीसी और एफसीआरए में सुधारों पर लगातार काम कर रहा है और जल्द ही इनका संशोधित खाका संसद में पेश किया जाएगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के विकास, स्थिरता एवं सुशासन के लिए आतंरिक सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और ये हम सबकी साझा ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में केंद्र और राज्यों की समान जिम्मेदारी है। कोई देश तभी आगे बढ़ सकता है जब उस देश के सभी एजेंसियों के बीच घनिष्ठ सहयोग हो।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…