पंजाब पराली जलाने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा : केंद्र…
नई दिल्ली,। केंद्र ने बुधवार को कहा कि पराली जलाने की घटनाएं खासकर पंजाब में तेजी से बढ़ने लगी हैं और राज्य सरकार ने खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पराली जलाने के मुद्दे पर एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पंजाब सरकार राज्य में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए समन्वित कार्रवाई करने में तेजी नहीं दिखा रही है।
पर्यावरण मंत्रालय ने एक बयान के अनुसार केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उल्लेख किया कि हरियाणा में पराली प्रबंधन की स्थिति ‘‘पंजाब की तुलना में काफी बेहतर है।’’ बयान में कहा गया, ‘‘पिछले साल की तुलना में 15 अक्टूबर तक पराली जलाने की घटनाएं कम थीं लेकिन अब यह खासकर पंजाब में तेजी से बढ़ने लगी है।’’
मंत्रियों ने उल्लेख किया कि पूसा बायो-डीकंपोजर (जैविक घोल जो 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल जाता है) का पंजाब में कम क्षेत्र में छिड़काव किया जा रहा है और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने और बढ़ाने की जरूरत है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष एम एम कुट्टी ने कहा कि आयोग द्वारा कई बैठकों और प्रयासों के बावजूद पंजाब ने ‘‘अपर्याप्त’’ कदम उठाए हैं। पंजाब के मुख्य सचिव को अमृतसर में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं को नियंत्रित करने और पिछले साल की तुलना में राज्य में खेतों में पराली जलाने के मामलों में 50 प्रतिशत की कमी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था।
बैठक में उल्लेख किया गया कि मुख्य चिंताओं में से एक पंजाब और हरियाणा में पराली प्रबंधन मशीन की आपूर्ति में देरी है। प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के साथ, आसपास के राज्यों में पराली जलाना राष्ट्रीय राजधानी में अक्टूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। गेहूं और सब्जियों की खेती से पहले फसल के अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए किसान अपने खेतों में पराली में आग लगाते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब और हरियाणा सालाना लगभग 2.7 करोड़ टन पराली पैदा करते हैं, जिसमें से लगभग 64 लाख टन का प्रबंधन नहीं किया जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच खेतों में पराली जलाने की 71,304 घटनाएं हुईं और 2020 में इसी अवधि में 83,002 मामले आए। पिछले साल, दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली का हिस्सा सात नवंबर को 48 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…