प्रकृति प्रेमियों के लिए शानदार करियर ऑप्शन है मेटियोरोलॉजी…
मेटियोरोलॉजी अर्थात मौसम विज्ञान के अंतर्गत मौसम की पूरी प्रक्रिया तथा मौसम का पूर्वानुमान आदि का विस्तृत अध्ययन किया जाता है. मौसम विज्ञान की सही जानकारी से कई प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले जान माल की अपार क्षति से बचा जा सकता है. एक मौसम विज्ञानी आंधी,तूफान, चक्रवात तथा बवंडर आदि घटनाओं की जानकारी पहले ही दे देते हैं जिससे रेड एलर्ट कर जान माल के नुकसान को कम किया जा सकता है.
इसलिए आजकल मौसम विज्ञान विषय तथा इसकी पढ़ाई करने वाले लोगों की मांग बढ़ गयी है. इसका अध्ययन भूगोल विषय के अंतर्गत किया जाता है.वस्तुतः मेटियोरोलॉजी शब्द ग्रीक शब्द ‘मिटिऔरल’ से बना है जिसका अर्थ होता है आकाश में घटित होने वाली कोई घटना.इस क्षेत्र के स्पेशलिस्ट को मौसम विज्ञानी या जलवायु विज्ञानी अथवा वायुमंडल वैज्ञानिक कहा जाता है. मौसम विज्ञान वायुमण्डल विज्ञान की एक शाखा है जो मुख्य रूप से मौसम एवं जलवायु के पूर्वानुमान तथा हमारे पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है.
विशेषताएं और योग्यता
-किसी भी मौसम विज्ञानी को गणित एवं भौतिकी विषयों का अच्छा ज्ञान होना चाहिए तथा पर्यावरण को जानने की उत्कट इच्छा होनी चाहिए. उन्हें प्रॉब्लम सॉल्विंग. डिसीजन मेकिंग, डेटा एनालिसिस तथा कम्युनिकेशन स्किल में प्रवीण होना चाहिए. टेक्नोलॉजी के आज के युग में ज्यादातर मौसम विज्ञानी अपने कार्यों में उच्च टेक्नोलॉजी तथा सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं, इसलिये उनका कम्प्यूटर और टेक्नोलॉजी नॉलेज भी बहुत अच्छा होना चाहिए.
-मौसम विज्ञान का अध्ययन करने वाले छात्र अपने कुछ वर्ष के अनुभवों के आधार पर ही वर्षा, तापमान, दबाव तथा नमी आदि का सही सही अनुमान लगा सकते हैं. मौसम विज्ञान के क्षेत्र में कई ऐसे इंटररिलेटेड फील्ड हैं जिनमें पर्याप्त रिसर्च की आवश्यकता है और उम्मीदवार चाहें तो अपनी रूचि के अनुसार इस फील्ड में अपना एक आकर्षक करियर बना सकते हैं. वेदर साइंस अर्थात मौसम विज्ञान में रुचि रखने वाले उम्मीदवार इस फील्ड में अपना भविष्य बनाने की सोच सकते हैं. लेकिन उन्हें यह भी जानना चाहिए कि मौसम पूर्वानुमान कोई निश्चित घंटों वाला ऑफिस वर्क नहीं है. अगर आवश्यकता पड़ी तो एक मौसम विज्ञानी को सप्ताह में सातों दिन और किसी भी वक्त कार्य करना पड़ सकता है. यहाँ तक कि छुट्टी के दिन या त्योहारों पर भी उन्हें कार्य करना पड़ सकता है. इअलिये जिन लोगों को तरह-तरह के मौसमों, बादलों, बारिश के रहस्यों से लेकर यदि मौसम के पूर्वानुमान और जलवायु परिवर्तन के प्रति उत्कंठा रहती है तो वे मौसम विज्ञान में एक आकर्षक करियर की तलाश कर सकते हैं.
-पूरे विश्व में बढ़ते प्रदूषण के कारण मौसम का मिजाज भी निरन्तर बदलता जा रहा है. हर रोज विश्व में कहीं न कहीं प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप सुनाई या दिखाई देता है. ऐसी स्थिति में एक मौसम विज्ञानी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है.
-मौसम विज्ञानी बनने के लिए विज्ञान विषयों के साथ 10+2 पास करने के बाद बी.एस.सी.की डिग्री अनिवार्य योग्यता है.इसके बाद इस विषय में मास्टर डिग्री भी की जा सकती है.इस क्षेत्र में रिसर्चर अथवा वैज्ञानिक बनने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों को यूजीसी नेट एग्जाम क्वालीफाई करने के बाद मौसम विज्ञान में पी.एच.डी. करनी होगी.
-वैसे मौसम विज्ञानं में एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स भी कराया जाता है लेकिन इस फील्ड में करियर बनाने वाले सीरियस उम्मीदवारों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने ग्रेजुएशन डिग्री को ही वरीयता दें. डिप्लोमा कोर्स मुख्यतः फिजिक्स या मैथ्स से ग्रेजुएशन करने वाले उम्मीदवारों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त रहता है.
मौसम विज्ञानी का कार्य –
-मौसम विज्ञानी मौसम की स्थितियों का पूर्वानुमान लगाने के लिये बहुत सारे उपकरणों का प्रयोग करते हैं, जैसे हवा का तापमान नापने के लिये थर्मामीटर, हवा की गति को नापने के लिये ऐनेमोमीटर, वायुमंडल के दबाव को नापने के लिये बैरोमीटर, बारिश को नापने के लिये रेनगॉज आदि और इनसे मिले संकेतों के आधार पर अपनी टिप्पणी देते हैं.आजकल मौसम के पूर्वानुमान में तो उपग्रह तथा डोपल राडार जैसे साधनों का भी उपयोग किया जाने लगा है.
-उपग्रह बादलों की स्थिति को दर्शाते हैं तथा इनके जरिये मौसम प्रणालियों का अध्ययन किया जा सकता है. पूरे संसार यानी सभी महासागरों तथा उप-महाद्वीपों का मौसम देख सकने के कारण उपग्रहों के पास एक विस्तृत डेटा होता है और उसकी मदद से मौसम विज्ञानी तूफान और चक्रवात जैसी मौसम की घटनाओं का सही अनुमान लगा सकने में सक्षम हो सकते हैं.
-इसके अतिरिक्त डॉपलर राडार में ध्वनि तरंगें एक राडार एंटिना के माध्यम से प्रसारित होती हैं और उनसे मुख्य रूप से प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि जब वे आइस क्रिस्टल या धूल के कणों जैसी किसी वस्तु के सम्पर्क में आते हैं तो उनकी ध्वनि-तरंगों की फ्रीक्वेंसी परिवर्तित हो जाती है और इस संकेत से किसी तूफान के विषय में मौसम विज्ञानियों को बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है.
-नित्य प्रति के मौसम की जानकारी के लिए उपग्रह को प्रक्षेपित कर मौसम केंद्र में स्थापित किया जाता है. इस सन्दर्भ में विशेष रूप से वेदर बैलून का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए लोकल मौसम वेधशालाएँ भी स्थापित की जाती हैं.
स्पेशलाइजेशन फील्ड
एक मौसम विज्ञानी बनने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवार डायनामिक मौसम विज्ञान,, भौतिकीय मौसम विज्ञान, संक्षिप्त मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान, एयरोलॉजी, एयरोनॉमी, कृषि मौसम विज्ञान, आदि विषयों में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं.