यातायात व्यवस्था को लेकर सरकार और वरिष्ठ अधिकारी गम्भीर पुराने लखनऊ के कुछ थानेदार लापरवाह…
ठाकुरगंज थाने से 20 मीटर की दूरी पर उड़ रही है यातायात नियमो की धज्जियां…
सिग्नल पर लगी लाल हरी पीली लाईटे बनी शो पीस…
लखनऊ । संवाददाता, करीब एक महीना पूर्व कानपुर रोड पर लगे 13 किलोमीटर लंबे यातायात जाम के बाद प्रदेश सरकार ने प्रदेश की बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए अभियान छेड़ा था। कानपुर रोड पर लगे लंबे यातायात जाम को खुलवा पाने में विफल इंस्पेक्टर बंथरा को चार्ज से हटना पड़ा था यही नहीं एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार को भी मौके पर पहुंच कर खुद सड़क पर उतर कर यातायात व्यवस्था को संभालना पड़ा था इसके अलावा कानपुर और लखनऊ के पुलिस आयुक्तों का हुआ तबादला भी बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था को सुधारने में असफल होना माना जा रहा था। कानपुर रोड पर लगे 13 किलोमीटर लंबे जाम के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नए पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर ने पदभार संभाला और सबसे पहले उन्होंने बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने की बात कही थी लेकिन यहां यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तो गंभीर नजर आ रहे हैं लेकिन पुराने लखनऊ के कुछ थानेदार सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों की मंशा पर खुले तौर पर पानी फेरने पर आमादा हैं । उदाहरण के तौर पर ठाकुरगंज थाने से महज 20 मीटर की दूरी पर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ते लगातार देखी जाती है। यहां सिग्नल लाइट का उल्लंघन दिन भर होता रहता है खास बात यह है कि ठाकुरगंज चौराहे पर पुलिस की मौजूदगी के बावजूद भी लाल बत्ती पर कोई भी वाहन जेब्रा लाइन से पहले नहीं रुकता है और खुले तौर पर यातायात नियम का उल्लंघन होता रहता है । ठाकुरगंज का एक चौराहा ही नहीं है बल्कि तहसीन गंज चौराहे पर भी इसी तरह के हालात हैं और यहां भी लाल हरी और पीली लाइट महज़ शो पीस साबित हो रही है सिग्नल पर लगी लाइट का कोई महत्व नजर नहीं आता है । लाइट हरी हो लाल हो या पीली हो लोग अपनी गाड़ियां फर्राटे से दौड़ाते रहते हैं यहां सवाल यह उठता है कि ठाकुरगंज थाने से महज 20 मीटर की दूरी पर यातायात नियमों के उल्लंघन का ये नजारा है तो पूरे थाना क्षेत्र का क्या होगा। खास बात ये है कि सिग्नल पर कैमरे भी लगे है नियमो का उलंघन करने वाले लोगो के रोज़ कितने चालान होते है इसकी जानकारी देने वाला भी कोई नही है जबकि पुराने लखनऊ की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए डीसीपी पश्चिम एस चिनप्पा पूरी गंभीरता के साथ लगभग रोज ही सड़क पर निकल कर अपने मातहतों को दिशा निर्देश दे रहे हैं लेकिन बावजूद इसके स्थानीय पुलिस उनकी मौजूदगी में तो सक्रिय नजर आती है लेकिन उनके जाते हैं लापरवाहियों का दौर चलता रहता है और लोग यातायात नियमों का उल्लंघन खुले तौर पर करते हुए देखे जाते हैं। इंस्पेक्टर ठाकुरगंज को काफी तेज तर्रार कहा जा रहा है लेकिन उनकी तेजतर्रारी अगर देखनी है तो आप थाने से महज 20 मीटर की दूरी पर ठाकुरगंज चौराहे पर देख सकते हैं जहां पर यातायात नियमों का उलंघन लोग खुले तौर से कैसे कर रहे हैं और इंस्पेक्टर ठाकुरगंज को यातायात नियमों के उल्लंघन नजर ही नहीं आ रहे हैं।
मनमानी पर उतारू बाजार खाला पुलिस
डीसीपी पश्चिम भले ही पुराने लखनऊ की यातायात व्यवस्था को सुधारने में कतई थक नहीं रहे हैं लेकिन बाज़ार खाला पुलिस ने शायद ये कसम खा ली है कि वो यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाएगी और खुद ही यातायात नियमों का उल्लंघन करेगी । बाजार खाला पुलिस की लापरवाही और जबरदस्ती का एक जीता जागता उदाहरण बाजार खाला कोतवाली के बाहर ही देखा जा सकता है जहां पुल के नीचे डिवाइडर के करीब 20 मीटर लंबे कट पर मोटरसाइकिल ऐसे खड़ी की गई है जैसे इस सड़क को पुलिस ने बाकायदा वाहन पार्किंग घोषित कर दिया हो। पुल के नीचे बाजार खाला कोतवाली के पास सकरी सड़क पर अवैध वाहनों की पार्किंग अकेली एक पार्किंग नहीं है बल्कि आयुर्वेदिक कॉलेज के सामने भी इसी तरह का नजारा देखा जा सकता है जहां डिवाइडर के कट पर चार पहिया वाहनों को ऐसे खड़ा किया गया है जैसे यहां कोई चार पहिया वाहन की पार्किंग हो । यही नहीं बाजार खाला पुलिस की लापरवाही को अगर देखना है तो आप बिलोचपुरा तिराहे से एवरेडी तक बनाए गए ओवर ब्रिज के नीचे डिवाइडर के दोनों तरफ खड़ी अवैध तरीके से चार पहियों गाड़ियों को खड़ा देखकर ये अंदाजा लगा सकते हैं कि इंस्पेक्टर बाजार खाला यातायात व्यवस्था को सुधारने में अपनी मुस्तैदी दिखाते हैं या फिर बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था को नजरअंदाज करना उनका मकसद है। बाज़ार खाला थाना क्षेत्र अंतर्गत हैदर गंज तिराहे पर भी इसी तरह का नजारा अक्सर देखा जाता है जब पुलिस मौजूदगी भी होती है और लोग जाम में फस कर पसीना बहाते हैं और अतिक्रमण करने वाले सड़क पर आराम से अतिक्रमण करके चलने के लिए बनाई गई सड़क पर चलने वाले लोगों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं जबकि अभी कुछ दिन पूर्व ही बारिश के मौसम में डीसीपी पश्चिम ने हैदरगंज तिराहे पर पहुंचकर यातायात को व्यवस्थित करने के लिए खुद मोर्चा संभाला था बावजूद इसके इंस्पेक्टर बाजार खाला यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
पुराने लखनऊ में जारी है बेतरतीब ई रिक्शा संचालन
वायु और ध्वनि प्रदूषण रहित ई रिक्शा संचालन पुराने लखनऊ की यातायात व्यवस्था के लिए घातक साबित हो रहा है । पुराने लखनऊ में हजारों की संख्या में संचालित किए जा रहे ई रिक्शा के खिलाफ पुलिस ने कई बार अभियान चलाकर सैकड़ों ई रिक्शा चालकों के ई रिक्शा सीज किए लेकिन बावजूद इसके पुराने लखनऊ में बेतरतीब ई रिक्शा संचालन लगातार जारी है जिसकी वजह से पुराने लखनऊ की यातायात व्यवस्था को पटरी पर वापस नहीं लाया जा पा रहा है। पुराने लखनऊ के बिलोचपुरा, नकखास ,अकबरी गेट , चौक , मेडिकल कॉलेज, ठाकुरगंज, कैसरबाग, अमीनाबाद, चौपटिया आदि क्षेत्रों में भारी संख्या में सड़क पर बेतरतीब दौड़ रहे ई-रिक्शा जाम की समस्या का कारण तो बन ही रहे हैं इसके अलावा ई-रिक्शा लगातार छोटी बड़ी दुर्घटनाओं का भी कारण बन रहे हैं । जरूरत है ई-रिक्शा चलाने वाले लोगों की ट्रेनिंग की जाए ई रिक्शा चालकों को लाइसेंस देने से पहले बाकायदा इनको ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि ई रिक्शा चालक यातायात नियमों का पालन करते हुए यातायात व्यवस्था में व्यवधान न पैदा करे और दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके ।
डीसीपी पश्चिम ने कहा नियमों के तहत करेंगे कार्यवाही
डीसीपी यातायात का CUG मिला स्विच ऑफ ADCP यातायात ने नही रिसीव की काल
पुराने लखनऊ की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए लगातार सड़कों पर नजर आ रहे हैं डीसीपी पश्चिम एस चिनप्पा का इस संबंध में कहना है कि अगर कहीं यातायात नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो नियमानुसार कार्यवाही करेंगे । पुराने लखनऊ की बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था के संबंध में कार्यवाही की जानकारी के लिए संवाददाता के द्वारा जब डीसीपी यातायात के सीयूजी नंबर पर कॉल की गई तो उनका सीयूजी नंबर स्विच ऑफ मिला यही नहीं इस संबंध में जानकारी के लिए एडीसीपी यातायात को जब काल की गई तो उन्होंने संवाददाता की कॉल ही रिसीव नहीं की । डीसीपी और एडीसीपी यातायात का सीयूजी नंबर निष्क्रिय होना इस बात का संकेत देता है कि लखनऊ की यातायात पुलिस यातायात व्यवस्था को संभालने में कितनी दिलचस्पी ले रही है। पुराने लखनऊ के कई व्यस्त चौराहे ऐसे हैं जहां यातायात पुलिस की ड्यूटी तो रहती है लेकिन यातायात पुलिस की मौजूदगी में भी अक्सर जाम लगे हुए देखा जाता है ।सवाल यह उठता है कि जब यातायात व्यवस्था को सुदृढ बनाने के लिए बाकायदा यातायात पुलिस की ड्यूटी है तो फिर स्थानीय पुलिस को क्यों यातायात व्यवस्था बिगड़ने पर दोषी माना जाता है।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…