उत्तर प्रदेश में भू मानचित्रों के ‘जिओ रेफरेंस’ का काम दो महीने में हो पूरा: दुर्गा शंकर मिश्र…
लखनऊ, 02 सितंबर। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने भूस्वामियों को उनकी जमीन की स्पष्ट जानकारी मुहैया कराने के लिये प्रदेश के समस्त भू-मानचित्रों के ‘जिओ रेफरेंस’ का काम 02 महीने के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। मिश्र की अध्यक्षता में शुक्रवार को राजस्व ग्रामों के नक्शों की जिओ रेफरेंसिंग परियोजना की समीक्षा बैठक में उन्होंने यह निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्कैनिंग योग्य मैपशीट्स की संख्या 1,18621 है। इन सभी नक्शों को दो महीने के भीतर ‘जिओ रेफरेंस’ तकनीक के दायरे में लाया जाए। इस काम को समय से पूरा करने के लिए उन्होंने तकनीकि कर्मियों की कमी नहीं होने देने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि यह कार्य पूरा होने से सभी भूस्वामियों को उनकी जमीन की जानकारी स्पष्ट हो सकेगी। इसके अलावा स्कूल, कार्यालय, धार्मिक स्थल आदि के स्वामित्व वाली जमीन की लोकेशन भी सही मिलेगी। इसके माध्यम से किसानों की जमीन का रिकॉर्ड भी उपलब्ध हो जाएगा।
बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़े विशेषज्ञ राजीव चावला और टीपी सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व बैठक में राजस्व विभाग के कामों को डिजिटल फॉर्मेट में लाने की प्रगति की जानकारी देते हुए राजस्व विभाग की आयुक्त एवं सचिव मनीषा त्रिघाटिया ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा ‘डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम’ में प्रदेश के समस्त भू- मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किए जाने के लिए निर्देश दिए गए है।
प्रदेश के समस्त भूखंडों को ‘यूनीक लैंड पार्सल आइडेन्टिफिकेशन नंबर’ आवंटित किए जाने के लिए भी प्रदेश के समस्त भू- मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किया जाना होगा। केंद्र सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान’ के तहत प्रदेश के समस्त भू-खंडों को जिओ रेफरेंस किए जाने के लिए निर्देश दिए गए है। इसके साथ ही कृषि विभाग की एग्रीस्टैक योजना के लिए प्रदेश के समस्त भू-मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किए जाने की अपेक्षा है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के समस्त ग्रामों के स्कैनिंग योग्य उपलब्ध भू-मानचित्रों की स्कैनिंग, डिजिटाइजेशन एवं खतौनी के डाटा से लिंकिंग का कार्य सम्पादित कराया जा रहा है। ग्रामों के स्कैनिंग योग्य उपलब्ध भू-मानचित्रों की स्कैनिंग और राजस्व कर्मियों की ओर से सत्यापन का कार्य 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। खतौनी के डाटा से लिंकिंग व राजस्व कर्मियों द्वारा सत्यापन का कार्य 96 प्रतिशत सम्पादित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि ऑर्थो रेक्टीफाइड सैटेलाइट इमेज के माध्यम से भू-मानचित्रों को जिओ रेफरेंस किया जा सकता है।
उन्होंने मुख्य सचिव को इस दिशा में तीन विकल्पों से अवगत कराया। पहले विकल्प का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन सेंटर’ उप्र सरकार की उम्मीद के मुताबिक समस्त उपलब्ध भू-मानचित्रों की इमेज फाइल्स उपलब्ध कराते हुए ये काम किय जा सकता है।
दूसरा विकल्प प्रदेश के 70 जनपदों में भू-मानचित्रों के डिजिटाइजेशन का कार्य सम्पादित कर रही 6 एजेन्सियों से किए गए अनुबंध के अतिरिक्त इस कार्य के लिए अनुबंध को विस्तारित करते हुए उनको आवंटित मंडलों के समस्त जनपदों का कार्य संपादित कराया जाए। तीसरा विकल्प जैम पर नई कार्य निविदा के माध्यम से नयी एजेन्सियों का चयन कर कार्य सम्पादित कराया जा सकता है। बैठक में अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी और प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग सहित संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…