चौबे एआईएफएफ के पहले खिलाड़ी अध्यक्ष बने, भूटिया को एकतरफा हराया…
नई दिल्ली, 02 सितंबर। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को अपने 85 साल के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार कल्याण चौबे के रूप में पहला ऐसा अध्यक्ष मिला जो पूर्व में खिलाड़ी रह चुके हैं। चौबे ने अध्यक्ष पद के चुनाव में पूर्व दिग्गज फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को हराया।
मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के पूर्व गोलकीपर 45 वर्षीय चौबे ने 33-1 से जीत दर्ज की। उनकी जीत पहले ही तय लग रही थी क्योंकि पूर्व कप्तान भूटिया को राज्य संघों के प्रतिनिधियों के 34 सदस्यीय निर्वाचक मंडल में बहुत अधिक समर्थन हासिल नहीं था। चौबे से पहले अध्यक्ष रहे प्रफुल्ल पटेल और प्रियरंजन दासमुंशी पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ थे।
सिक्किम के रहने वाले 45 वर्षीय भूटिया का नामांकन पत्र भरते समय उनके राज्य संघ का प्रतिनिधि भी प्रस्तावक या अनुमोदक नहीं बना था।
पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर सीट से हारने वाले भाजपा के राजनीतिज्ञ चौबे कभी भारतीय सीनियर टीम से नहीं खेले हालांकि वह कुछ अवसरों पर टीम का हिस्सा रहे थे।
उन्होंने हालांकि आयु वर्ग के टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के लिए गोलकीपर के रूप में खेले हैं। भूटिया और चौबे एक समय ईस्ट बंगाल में साथी खिलाड़ी थे।
कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के विधायक एनए हारिस ने उपाध्यक्ष के एकमात्र पद पर जीत दर्ज की। उन्होंने राजस्थान फुटबॉल संघ के मानवेंद्र सिंह को 29-5 से हराया।
अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय ने आंध्र प्रदेश के गोपालकृष्णा कोसाराजू को 32-1 से हराकर कोषाध्यक्ष पद हासिल किया।
कोसाराजू ने अध्यक्ष पद के लिए भूटिया के नाम का प्रस्ताव रखा था जबकि मानवेंद्र ने उसका समर्थन किया था।
कार्यकारिणी के 14 सदस्यों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था और उन्हें निर्विरोध चुना गया।
भूटिया ने चुनाव के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘मैं भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए भविष्य में भी काम करता रहूंगा। कल्याण को बधाई। मुझे उम्मीद है कि वह भारतीय फुटबॉल को आगे लेकर जाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय फुटबाल प्रशंसकों का आभार जिन्होंने मेरा समर्थन किया। मैं चुनाव से पहले भी भारतीय फुटबॉल के लिए काम कर रहा था और आगे भी इसे जारी रखूंगा। हां मैं कार्यकारी समिति का सदस्य हूं।’’
एआईएफएफ के चुनाव के साथ ही भारतीय फुटबॉल में पिछले कुछ महीनों में चले नाटकीय घटनाक्रम का भी पटाक्षेप हो गया। इस दौरान भारतीय फुटबॉल ने दिसंबर 2020 में चुनाव न कराने के कारण पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को बर्खास्त होते हुए देखा।
इसके बाद प्रशासकों की समिति गठित की गई जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय ने बर्खास्त कर दिया था। विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ने ‘तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव’ का हवाला देकर इस बीच भारत को निलंबित भी कर दिया था।
नई कार्यकारी समिति में जीपी पालगुना, अविजीत पॉल, पी अनिलकुमार, वलंका नताशा अलेमाओ, मालोजी राजे छत्रपति, मेनला एथेनपा, मोहन लाल, आरिफ अली, के नीबौ सेखोज, लालनघिंग्लोवा हमर, दीपक शर्मा, विजय बाली और सैयद इम्तियाज हुसैन शामिल हैं।
भूटिया, आई एम विजयन, शब्बीर अली और क्लाइमेक्स लॉरेंस खिलाड़ियों के प्रतिनिधि के रूप में कार्यकारिणी में शामिल होंगे। चौबे टाटा फुटबॉल अकादमी से निकले हैं। उनके समकालीन खिलाड़ियों में दिपेन्दु विश्वास, रेनेडी सिंह, लोलेंड्रो सिंह और मोहन बागान के पूर्व कोच शंकरलाल चक्रवर्ती शामिल हैं।
चौबे ने 1996 में मोहन बागान के लिये सीनियर क्लब स्तर पर खेला और ईस्ट बंगाल, जेसीटी, सालगांवकर के लिये भी खेले। वह तीन बार सैफ चैम्पियनशिप विजेता टीम का हिस्सा रहे और अपने कैरियर में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में पांच अलग अलग राज्यों के लिये खेला। वह बुंडेस्लिगा क्लब कार्लस्रुहेर एससी और वीएफआर हेलब्रोन के ट्रायल के लिये जर्मनी भी गए थे। फुटबॉल से संन्यास के बाद वह विभिन्न फुटबॉल संघों से जुड़े रहे।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…