हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी- संबंध बनाने के लिए पैन या आधार कार्ड जांचने की जरूरत नहीं…
नई दिल्ली, 30 अगस्त। सहमित से किसी के साथ संबंध बनाने के लिए पार्टनर की जन्मतिथि न्यायिक जांचने की आवश्यकता नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक शख्स को अपने से छोटी महिला के साथ दुष्कर्म मामले में जमानत देते हुए कही। आश्चर्य की बात तो यह है कि उस महिला के तीन जन्म प्रमाण पत्र थे। कोर्ट ने आपसी सहमित से संबंध कहा कि शख्स को पैन या आधार कार्ड या स्कूल के रिकार्ड जांचने की जरूरत नहीं। कोर्ट ने आरोपित को राहत देते हुए कहा कि पीड़िता उसे अपनी मर्जी से जन्म के दस्तावेज दे रही थी ताकि बाल शोषण कानून लागू करवा सके।
वह व्यक्ति, जो किसी अन्य व्यक्ति के साथ सहमति से शारीरिक संबंध रखता है, उसे न्यायिक रूप से दूसरे व्यक्ति की जन्म तिथि की जांच करने की आवश्यकता नहीं है। शारीरिक संबंध में प्रवेश करने से पहले उसे आधार कार्ड, पैन कार्ड देखने और उसके स्कूल के रिकॉर्ड से जन्म तिथि सत्यापित करने की आवश्यकता नहीं है। न्यायाधीश ने कहा जहां तक जन्मतिथि का संबंध है, ऐसा लगता है कि अभियोक्ता की तीन अलग-अलग जन्म तिथियां हैं।
आधार कार्ड उसकी जन्म तिथि 01.01.1998 को दर्शाता है और इसलिए, कथित घटना की तारीख पर, अभियोक्ता को एक नाबालिग नहीं माना जाएगा। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा, “यह तथ्य कि आधार कार्ड है और वही जन्म तिथि 01.01.1998 को दर्शाता है, आवेदक के लिए यह राय बनाने के लिए पर्याप्त है कि वह एक नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना रहा था।” कोर्ट ने 24 अगस्त के आदेश में यह बातें लिखी हैं। कोर्ट ने कहा ऐसा देखने में ज्यादा आ रहा है कि झूठे केस दर्ज करा कर पैसे की वसूली हो रही है। यह मामला भी ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। इसलिए दिल्ली पुलिस को यह आदेश दिया कि यह पता कीजिए कि कही ऐसा पीड़िता ने दूसरी जगह तो केस दर्ज नहीं कराया है।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…