जलवायु को लेकर ट्विटर पर भिड़े चीन और अमेरिका
बीजिंग, 17 अगस्त । दुनिया में हरित गैस के दो सबसे बड़े उत्सर्जक चीन और अमेरिका में जलवायु नीति को लेकर ट्विटर पर टकराव नजर आ रहा है। चीन ने सवाल किया है कि क्या अमेरिका इस सप्ताह राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा हस्ताक्षरित ऐतिहासिक जलवायु कानून पर अमल कर सकता है।
अमेरिकी संसद द्वारा पिछले शुक्रवार को विधेयक को पारित किए जाने के बाद चीन में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स ने रविवार को ट्विटर पर कहा कि अमेरिका अब तक के अपने सबसे बड़े निवेश के साथ जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई कर रहा है और चीन को इसका अनुसरण करना चाहिए।
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंगलवार रात ट्वीट किया, “सुनकर अच्छा लगा। लेकिन जो बात मायने रखती है, वह यह है कि क्या अमेरिका इसे अमल में ला सकेगा?”
बढ़ते तापमान को सीमित करने के लिए वैश्विक प्रयासों की सफलता की खातिर अमेरिका-चीन सहयोग को व्यापक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। ताइवान और अन्य मुद्दों को लेकर रिश्तों में आए ठंडेपन के मद्देनजर कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या ये दोनों सहयोग कर सकते हैं।
हाल में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन ने इस महीने के शुरू में विरोधस्वरूप अमेरिका के साथ जलवायु व अन्य मुद्दों पर बातचीत स्थगित करने की घोषणा की थी।
चीन और अमेरिका के बीच सहयोग वाले कुछ क्षेत्रों में जलवायु भी शामिल है। अमेरिकी अधिकारियों ने चीन के रुख की निंदा की थी और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था, यह “अमेरिका को नहीं, दुनिया को दंडित करता है।”
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने पिछले हफ्ते अमेरिका से “जलवायु परिवर्तन पर अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों और दायित्वों को पूरा करने और अपनी निष्क्रियता के बहाने तलाशने बंद करने” का आह्वान किया था। इस पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर मंत्रालय ने बाद में अपने कुछ जवाब ट्वीट किए थे और अमेरिकी जलवायु परिवर्तन विधेयक पर अपने ट्वीट से बर्न्स ने चार दिन बाद जवाब दिया था। उन्होंने कहा था, “चीन को अनुसरण करना चाहिए और अमेरिका के साथ जलवायु सहयोग स्थगित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।” चीन ने इस पर ट्वीट किया, “क्या अमेरिका इस पर अमल कर सकता है?”
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…