श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने महिंदा और बासिल के देश छोड़ने पर लगी रोक 11 अगस्त तक बढ़ाई
कोलंबो, 03 अगस्त । श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके छोटे भाई व पूर्व वित्तमंत्री बासिल राजपक्षे के देश छोड़ने पर लगी रोक की मियाद बुधवार को बढ़ाकर 11 अगस्त तक कर दी। श्रीलंका के मौजूदा आर्थिक संकट के लिए इन दोनों भाइयों को बड़े पैमाने पर जिम्मेदार माना जा रहा है।
श्रीलंका की शीर्ष अदालत ने एक अगस्त को महिंदा राजपक्षे और उनके भाई के देश छोड़ने पर लगी रोक की मियाद चार अगस्त तक के लिए बढ़ा दी थी। अदालत ने यह निर्देश देश के मौजूदा आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच के तहत इनके विदेश यात्रा पर रोक लगाने के अनुरोध पर दिया।
एक समूह ने याचिका दायर की है जिनमें सीलोन चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष चंद्रा जयरत्ने, श्रीलंका के पूर्व तैराकी चैम्पियन जूलियन बोलिंग व जेहान कनगरत्ना और ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि बासिल, महिंदा और सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर अजीत निवार्ड कैब्राल प्रत्यक्ष रूप से श्रीलंका के विदेशी कर्ज की अवहनीय स्थिति, कर्ज भुगतान में चूक और मौजूदा आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार हैं, जिसकी वजह से खाद्यान्न और दवाओं की भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
श्रीलंका की शीर्ष अदालत ने 15 जुलाई को तीनों के देश छोड़ने पर 28 जुलाई तक रोक लगा दी थी, जिसे बढ़ाकर कर दो अगस्त तक कर दिया गया था।
इस महीने के शुरुआत में कोलंबो स्थित भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों और अधिकारियों के विरोध के चलते बासिल को देश छोड़ने से रोक दिया गया था।
गौरतलब है कि महिंदा और बासिल पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भाई हैं। राजपक्षे निजी उड़ान के जरिये 14 जुलाई को मालदीव के रास्ते सिंगापुर पहुंचे थे और फिर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सिंगापुर ने गोटबाया राजपक्षे के देश में रहने की अनुमति 11 अगस्त तक बढ़ा दी है। श्रीलंका पर कुल 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…