प्राचीन भाषा में हैं आपके लिए आधुनिक अवसर…

प्राचीन भाषा में हैं आपके लिए आधुनिक अवसर…

भारतीय शिक्षण संस्थान लगातार संस्कृत को आधुनिक रोजगारों से जोड़ने की कोशिशें कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय ने संस्कृत में क्लाइमेटोलॉजी, साइंटिफिक हेरिटेज, थिएटर, फैशन डिजाइनिंग जैसे प्रोफेशनल कोर्स लॉन्च किए हैं। वैदिक गणित भी पढ़ाई जा रही है। इसी तरह कम्प्यूटेशनल लिंग्विस्टिक विषय में पारंगत होने के बाद संस्कृत पर आधारित कम्प्यूटर लैंग्वेज का ज्ञान पुख्ता होता है जिससे आईटी व रिसर्च क्षेत्र के लिए रास्ते खुलते हैं। साथ ही न्यूज रीडर, एंकर, ट्रांस्लेटर जैसे अवसरों को भी भुनाया जा सकता है।

संस्कृत ब्लॉग व सोशल नेटवर्किंग

कई विश्वबविद्यालयों में अब संस्कृत के सिलेबस के तहत ब्लॉग, सोशल वेबसाइट आदि पर काम करना सिखाया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों का इस ओर रुझान बढ़ रहा है। संस्कृत न्यूज बुलेटिंस के विडियोज देखने और लाइक करने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

अर्हता

ग्रेजुएशन लेवल के ज्यादातर पाठ्यक्रमों में हाईस्कूल तक संस्कृत की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाता है। साथ ही हाईस्कूल में प्राप्त अंकों का प्रतिशत भी कटऑफ के आधार पर आंका जाता है। इसके अलावा इंटरव्यू भी होता है।

साहित्य में शामिल हुए नए विषय

समसामयिक संस्कृत साहित्य में दहेज, खाड़ी युद्ध, आतंकवाद जैसे मुद्दे भी उठाए जा रहे हैं। यह सुनकर उन लोगों को अचरज होता है, जो इसे सिर्फ पंडिताई की भाषा मानते हैं। इस भाषा के कलेवर में पिछले कुछ सालों में काफी नयापन आया है और यह लगातार बदलावों के दौर से गुजर रही है। इसका शब्दकोश लगातार विस्तृत हो रहा है। उदाहरण के तौर पर, पहले संस्कृत में ट्रेन और सोफे के लिए कोई निश्चित शब्द नहीं थे, पर अब इनके लिए वाष्पगन्त्री और कलिशयन शब्द हैं। संस्कृत में अब तमिल, तेलुगु के छंदों के साथ ही जापान के हाइकू, तांका छंद और अंग्रेजी के सॉनेट आदि छंद भी इस्तेमाल हो रहे हैं। इसके अलावा अब इसमें उपन्यास, निबंध, एकांकी, आत्मकथा, डायरी आदि विधाएं भी शामिल हो गई हैं।

क्या हैं अवसर?

इस भाषा का ज्ञान रखने वालों के लिए संभावनाएं बेहद उज्जवल हैं। यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करके संस्कृत में शोध किया जा सकता है। रिसर्च फैलोशिप परीक्षा उत्तीर्ण करने पर आपको आर्थिक मदद भी मिल सकती है। इसके अलावा संस्कृत साहित्य से संबंधित शॉर्ट टर्म कोर्सेज हैं। पाण्डुलिपि संरक्षण में भी अच्छे अवसर हैं, जिनके तहत इन्हें संरक्षित कर इंटरनेट पर डालना होता है।

प्रमुख संस्थान:-

(पारंपरिक)

-राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली

-श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली

-कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बिहार

-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, बनारस

-तिरुपति संस्कृत विद्यापीठ, आंध्र प्रदेश

(आधुनिक)

-दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

-सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली

-जेएनयू, दिल्ली

-पटना विश्वविद्यालय, पटना

-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस

-इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद।

पारंगत होने के लिए…

-संस्कृत व्याकरण को अच्छी तरह समझें। इसे बोलें, लिखें और सुनें।

-एक समय था जब संस्कृत को रटन विद्या माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस भाषा के आधुनिक शिक्षक इसे सिखा रहे हैं, जिसमें आपको इसे सिर्फ अच्छी तरह समझना होता है।

-संस्कृत की पत्रिकाएं, अखबार, ब्लॉग आदि पढ़ें?

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…