बिल्डिंग मटीरियल फर्मों के मार्जिन पर दबाव…

बिल्डिंग मटीरियल फर्मों के मार्जिन पर दबाव…

मुंबई, 23 जुलाई। भवन निर्माण सामग्री क्षेत्र को वित्त वर्ष 2023 की जून तिमाही में तिमाही आधार पर कमजोर मांग और मार्जिन दबाव के साथ दोहरी समस्या का सामना करना पड़ा है। टाइल्स, पाइप और वूड पैनल जैसे क्षेत्र के प्रमुख सेगमेंटों में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा राजस्व में 12-23 प्रतिशत गिरावट की आशंका है जबकि उनके परिचालन मुनाफे में 16 से लेकर 32 प्रतिशत के दायरे में कमजोरी दर्ज की जा सकती है।

सूचीबद्ध टाइल निर्माताओं कजारिया सिरेमिक्स और सोमानी सिरेमिक्स ने 4-5 प्रतिशत की तीन साल की सालाना वृद्धि के साथ तिमाही आधार पर बिक्री में 13-16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। जेएम फाइनैंशियल के अचल लोहाडे और पार्थ गाला का मानना है कि निर्माण गतिविधि में नरमी की वजह से तिमाही के दौरान मांग कमजोर हुई है और पूरे भारत में पुनर्निर्माण परियोजनाएं ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से रुक गई हैं।

गुजरात के मोर्बी इलाके से निर्यात भी लॉजिस्टिक समस्याओं की वजह से प्रभावित हुआ था। फिलिपकैपिटल इंडिया के दीपक अग्रवाल का मानना है कि कीमतों में नरमी आएगी या इनमें ठहराव बना रहेगा, क्योंकि निर्यात में कमी से बिक्री घरेलू बाजार पर केंद्रित हो रही है, जहां खुदरा कारोबार पर दबाव बना हुआ है। उनका कहना है कि ऊंचे इन्वेंट्री और बढ़ती लागत की वजह से छोटी कंपनियां अपने कारोबार बंद कर रही हैं।

धीमी मांग के अलावा, मार्जिन पर गैस कीमतों में तेजी की वजह से भी दबाव पड़ने की आशंका है। दो बड़ी टाइल निर्माता कंपनियों के मुनाफे में तिमाही आधार पर 20-160 आधार अंक तक की कमी आने की आशंका है। जहां कजारिया का मार्जिन 13-15 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है वहीं सोमानी के लिए यह आंकड़ा 6.7-8 प्रतिशत रह सकता है। गैस कीमतों में कमी आने से सितंबर में कुछ राहत मिल सकेगी।

जहां अल्पावधि परिदृश्य कमजोर बने रहने की संभावना है, वहीं घरेलू निर्माण गतिविधि में सुधार, ऊंची निर्यात मांग और छोटे शहरों एवं कस्बों में सुधार से बड़े ब्रांडों को मध्यावधि के दौरान बाजार भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इससे कीमतों बढ़ाने, उत्पाद मिश्रण में सुधार लाने और लागत प्रबंधन में कंपनियों को मदद मिलेगी। ब्रांड पहचान, वितरण और उत्पाद प्रोफाइल तथा नकदी प्रवाह को देखते हुए फिलिपकैपिटल इंडिया ने कजारिया और सोमानी पर ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।

प्लास्टिक पाइप के लिए मांग और बिक्री रुझान भी तिमाही आधार पर निराशाजनक थे, हालांकि वे एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले अच्छे रहे। धीमी निर्माण गतिविधि और घटती पॉलिविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) कीमतों से ऊंचे इन्वेंट्री को बढ़ावा मिला है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के राजेश रवि और केशव लाहोटी का कहना है, ‘प्लास्टिक पाइप की मांग तिमाही के मध्य से पीपीसी रेसिंस में भारी गिरावट की वजह से कमजोर बनी हुई है।’

उनका कहना है कि रेसिन कीमतें वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में 20 प्रतिशत नीचे आईं और इससे कंपनियों का इन्वेंट्री नुकसान बढ़ सकता है जिससे मार्जिन पर भी दबाव पैदा हो सकता है। ब्रोकरेज का मानना है कि सूचीबद्ध कंपनियों में, जहां एस्ट्रल द्वारा 180 आधार अंक की मार्जिन गिरावट दर्ज किए जाने का अनुमान है, वहीं प्रिंस पाइप्स के लिए गिरावट 600 आधार अंक तक रह सकती है।

विश्लेषकों का मानना है कि अगली कुछ तिमाहियों के दौरान सरकारी पहलों/नीतिगत उपायों की मदद से मांग में सुधार आ सकता है। रिलायंस सिक्योरिटीज का कहना है कि असंगठित क्षेत्र की कंपनियों से बाजार भागीदारी बढ़ने, बाजार समेकन और मजबूत पूंजीगत खर्च पीवीसी पाइप कंपनियों के लिए अच्छा संकेत हैं।

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…