श्रीलंकाई प्रदर्शनकारी पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन तक संघर्ष जारी रखने पर अडिग…

श्रीलंकाई प्रदर्शनकारी पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन तक संघर्ष जारी रखने पर अडिग…

कोलंबो, 17 जुलाई। श्रीलंका के प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति पद को खत्म करके व्यवस्था में पूर्ण बदलाव लाने तक अपना संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है। श्रीलंका में जनआंदोलन का रविवार को 100वां दिन है, जिसके कारण गोटबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से हटना पड़ा।

सरकार विरोधी प्रदर्शन नौ अप्रैल को राष्ट्रपति कार्यालय के पास शुरू हुआ था और बिना किसी रुकावट के जारी है। आंदोलन के एक प्रमुख कार्यकर्ता, फादर जीवंत पीरिस ने कहा, ‘‘हम अपनी लड़ाई तब तक जारी रखेंगे जब तक कि हम व्यवस्था के पूर्ण परिवर्तन के अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते।’’

पीरिस ने कहा, ‘‘यह एक स्वतंत्रता संग्राम है। हम जनशक्ति के माध्यम से एक सत्तारूढ़ राष्ट्रपति को घर भेजने में कामयाब रहे।’’

73 वर्षीय राजपक्षे बुधवार को मालदीव चले गए और फिर बृहस्पतिवार को सिंगापुर पहुंचे। उन्होंने शुक्रवार को औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया था। प्रदर्शनकारियों के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे उनका अगला निशाना हैं और उन्हें हटाने का अभियान शुरू हो चुका है।

उन्होंने कहा, ‘‘पांच जुलाई को हमने एक कार्य योजना जारी की। इसमें सबसे महत्वपूर्ण था गोटबाया को हटाना और रानिल विक्रमसिंघे और राजपक्षे शासन को हराना।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम राष्ट्रपति पद को समाप्त करने के लिए जोर दे रहे हैं ताकि इससे हमारी कार्य योजना सही से आकार ले सके।’’

प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा, ‘‘हम सरकार से डरते नहीं हैं।’’ राजधानी में तीन सबसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवनों पर कब्जा करने के बाद, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति कार्यालय के अलावा उनमें से तीन को खाली कर दिया।

अप्रैल के मध्य से शुरू होने के बाद से प्रदर्शन में हिंसा देखी गई थी। चरमपंथी राजनीतिक एजेंडा वाले कुछ तत्वों को श्रीलंकाई नेताओं की निजी संपत्तियों पर आगजनी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। विक्रमसिंघे के निजी घर में उसी दिन आगजनी हुई थी, जब राजपक्षे देश छोड़कर भागे थे।

वह उन चार उम्मीदवारों में से एक हैं, जो 20 जुलाई को संसद में होने वाले मतदान में राजपक्षे की जगह लेना चाहते हैं। विक्रमसिंघे, जो प्रधानमंत्री भी हैं, ने शुक्रवार को श्रीलंका के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद कानून और व्यवस्था बनाए रखने का संकल्प लिया।

उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को हिंसा और तोड़फोड़ के किसी भी कृत्य से निपटने का अधिकार और स्वतंत्रता दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का शत-प्रतिशत समर्थन करता हूं। दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों में अंतर है। सच्चे प्रदर्शनकारी हिंसा का सहारा नहीं लेते हैं।’’

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…