बारिश के जोर पकड़ने के बाद भी खरीफ की बुआई पिछड़ी…

बारिश के जोर पकड़ने के बाद भी खरीफ की बुआई पिछड़ी…

नई दिल्ली, 09 जुलाई। देश के तमाम इलाकों में बारिश के जोर पकड़ने के बावजूद 8 जुलाई को समाप्त सप्ताह तक के आंकड़ों के मुताबिक खरीफ की फसलों की बुआई पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कम बनी हुई है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में धान के रकबे में करीब 24 प्रतिशत की कमी आई है।

पिछले साल की समान अवधि की तुलना में तिलहन का रकबा 20.21 प्रतिशत कम है। वहीं दलहन की बुआई पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 8 जुलाई, 2022 तक 1 प्रतिशत कम है। आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ की फसल के तहत आने वाला कुल क्षेत्रफल 8 जुलाई तक अनुमानित रूप  से करीब 448.2 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 9.28 प्रतिशत कम है।

8 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण पश्चिमी मॉनसून के कारण हुई बारिश सामान्य की तुलना में महज 2 प्रतिशत कम है और जून में कम बारिश की भरपाई देश के करीब हर मौसम क्षेत्र में हो गई है। हालांकि देश के कुछ इलाके अभी भी कम बारिश के कारण जूझ रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में 1 जून से 8 जुलाई के बीच हुई कुल बारिश को देखें तो 19 जिलों में से 15 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।  ओडिशा में 30 में से 16 जिलों में सामान्य से  कम बारिश हुई है। झारखंड में 24 में से 24 जिलों में, बिहार में 38 में से 30 जिलों में और यूपी में 75 में से करीब 71 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।

मौसम विभाग के हाल के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक मध्य भारत के साथ पश्चिमी तट में मॉनसून सक्रिय रहेगा और 8 जुलाई से अगले 5 दिन के दौरान बारिश होगी। उतर पश्चिम भारत में 9, 10 जुलाई 2022 को तेज बारिश होगी। इसकी वजह से तिलहन में सोयाबीन और मूंगफली जैसी फसलों की बुआई मध्य प्रदेश और गुजरात में बढ़ेगी।

व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस समय से आगे अब 2022 में खरीफ की बुआई की दिशा तय होगी, जिसका निर्धारण जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश के मुताबिक होगा। अच्छी खबर यह है कि मौसम विज्ञानियों ने जुलाई व अगस्त में बारिश बेहतर रहने की उम्मीद जताई है।

स्काईमेट में उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान) महेश पालावत ने कहा कि जुलाई और अगस्त में कुल मिलाकर मॉनसून बेहतर रहने के संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि ला नीना की स्थिति अगस्त के अंत तक बनी रहने की संभावना है, जबकि आईओडी का नकारात्मक असर भी कम रहने की उम्मीद है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…