एआई में निवेश 88 करोड़ डॉलर के पार होगा…
नई दिल्ली, 25 जून। साल 2023 तक भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता में निवेश 88 करोड़ डॉलर के पार पहुंच जाएगा। आईटी कंपनियों के प्रतिनिधि संगठन नैसकॉम की ओर से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की तैनाती सूचकांक पर जारी ताजा रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता में निवेश 30.8 फीसदी सीएजीआर के साथ बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल वैश्विक एआई निवेश बढ़कर दोगुना हो गया लेकिन वैश्विक निवेश में भारत की हिस्सेदारी 1.5 फीसदी पर बरकरार है। भारत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता में निवेश के मोर्चे पर अपने वैश्विक समकक्षों के मुकाबले कम आधार के साथ शुरुआत की है। इसलिए अधिक वृद्धि के बावजूद 2023 में वैश्विक निवेश में भारत का योगदान महज 2.5 फीसदी दिखेगा।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का योगदान 2025 तक कुल मिलाकर 450 से 500 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें से 60 फीसदी से अधिक उपभोक्ता वस्तु एवं खुदरा, बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई), ऊर्जा एवं उद्योग, स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेोंत्र से आने की उम्मीद है।
नैसकॉम ने ईवाई के साथ मिलकर लगभग 350 कंपनियों का सर्वेक्षण किया है। अध्ययन में पाया गया कि करीब 65 फीसदी कंपनियों ने एआई रणनीति को कार्यात्मक या उद्यम स्तर पर परिभाषित किया है। भारत में एआई परिपक्वता चार चरणों वाले तैनाती आकलन का दूसरा स्तर है।
हालांकि भारतीय कंपनियां अपने कारोबार संबंधी विभिन्न कार्यों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर रही हैं लेकिन देश में प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और चैटबॉट में एआई एप्लिकेशन का सबसे अधिक उपयोग हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (पीडीपी) विधेयक से इस नीति में उल्लेखनीय बदलाव आएगा। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि कंपनियां प्रस्तावित मानदंडों के अनुपालन के लिए डेटा सैनिटाइजेशन और व्यक्तिगत पहचानकर्ताओं को हटाने पर विचार करें।
नैसकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के मद्देनजर मौजूदा समय संस्थानों के लिए डेटा एवं प्रौद्योगिकी के साइलो से निकलकर विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयोगिता रणनीति के साथ विशेष एआई क्षमता निर्माण के लिए महत्त्पूर्ण है।’
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…