जांच को उपभोक्ता केंद्रित होने से दम…
मुंबई, 23 जून। काफी हद तक असंगठित क्षेत्र पर निर्भर भारत का करीब 55,000 करोड़ रुपये का डायग्नोस्टिक क्षेत्र बदलाव के लिए तैयार है। इसे मुख्य तौर पर नकदी संपन्न कंपनियों द्वारा समर्थित ऑनलाइन एग्रीगेटरों के इस क्षेत्र में प्रवेश से बल मिल रहा है। आने वाले वर्षों के दौरान इस क्षेत्र को मुख्य तौर पर सुदृढीकरण और मूल्य युक्तिकरण से रफ्तार मिलेगी। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि अगले तीन से पांच वर्षों के दौरान इस उद्योग में संगठित कंपनियों की हिस्सेदारी मौजूदा 15 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी हो जाएगी। ल्यूपिन डायग्नोस्टिक्स के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख रवींद्र कुमार ने कहा कि सुदृढीकरण होगा भले ही उसमें थोड़ा वक्त लगेगा। साथ ही डायग्नोस्टिक्स का रुख स्पष्ट तौर पर उपभोक्ताकरण की ओर दिख रहा है। लोगों का रुझान वेलनेस पैकेज अथवा नियमित जांच/चेक-अप की ओर बढ़ रहा है।
‘बजट वेलनेस’ यानी सस्ते तंदुरुस्ती पैकेज के क्षेत्र में ऑनलाइन कंपनियों का वर्चस्व दिख सकता है। ऑफलाइन लैबोरेटरी की बड़ी राष्ट्रीय श्रृंखलाएं प्रेस्क्रिप्शन डायग्नोस्टिक्स कारोबार को नियंत्रित करेंगी। अधिकतर कंपनियों और विश्लेषकों ने सहमति जताई कि इस क्षेत्र में नई कंपनियों के प्रवेश से कीमत के मोर्चे पर प्रतिस्पर्धा बरकरार रहेगी। ल्यूपिन ने खुद अपनी डायग्नोस्टिक लैब की श्रृंखला स्थापित की है। टाटा ने ऑनलाइन फार्मेसी (ई-फार्मेसी) 1एमजी का अधिग्रहण किया और खुद की डायग्नोस्टिक इकाई स्थापित की है। जियो के साथ दूरसंचार क्षेत्र में उथल-पुथल मचाने के बाद रिलायंस ने अब डायग्नोस्टिक्स क्षेत्र में दस्तक दी है। उसने ई-फार्मेसी कंपनी नेटमेड्स का अधिग्रहण किया है जिससे उसके डायग्नोस्टिक कारोबार को रफ्तार मिल सकती है। थायरोकेयर का अधिग्रहिण हेल्थकेयर स्टार्टअप फार्मईजी ने किया है। मेडप्लस (फार्मेसी रिटेलर) अब डायग्नोस्टिक्स क्षेत्र में काफी आक्रामक दिख रही है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के विश्लेषकों का कहना है कि बड़ी अस्पताल श्रृंखलाओं ने भी इस अवसर को भुनाने के लिए व्यापक निवेश की घोषणाएं की हैं।
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के मुख्य कार्याधिकारी के. आनंद ने कहा कि कीमत में अंतर हमेशा बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा, ‘कीमत में अंतर लैब को चुनने का एकमात्र मानदंड होगा और कम कीमत की पेशकश करने वाले पैथोलॉजी लैब की बाजार हिस्सेदारी अधिक होगी।’ विश्लेषकों और उद्योग के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि डायग्नोस्टिक्स क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी मूल्य फिलहाल बरकरार रहेगा। थायरोकेयर टेक्नोलॉजिज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी राहुल गुहा ने कहा कि ऑनलाइन डायग्नोस्टि कंपनियां अधिक मात्रात्मक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धी कीमत की पेशकश जारी रखेंगी। गुहा ने कहा, ‘हमने डायरोकेयर को बी2बी ब्रांड के तौर पर बरकरार रखने का निर्णय लिया है जबकि फार्मईजी डायग्नोस्टिक्स में हमारा बी2सी कारोबार होगा। अब हमारे पास फार्मईजी लैब्स हैं। हम कीमत का यह खेल नहीं खेलना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि कंपनी उपभोक्ता अनुभव को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
गुहा ने कहा कि भारत में करीब 50 फीसदी डायग्नोस्टिक कारेाबार देश के शीर्ष 10 शहरों तक सीमित है। उन्होंने कहा कि शहरों में उपभोक्ता केंद्रित पैकेज का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि निकट भविष्य में कीमत संबंधी दबाव बरकरार रहेगा। ऐसे में मौजूदा कंपनियां बेहतर मात्रात्मक बिक्री के लिए भारी छूट की पेशकश कर सकती हैं अथवा कुछ मात्रात्मक बिक्री के नुकसान के साथ अपनी कीमत को बरकरार रख सकती हैं। बड़ी ऑफलाइन कंपनियों का मानना है कि ऑनलाइन एग्रीगेटर छोटी कंपनियों को कहीं अधिक प्रभावित कर सकते हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…