पोप ने रूसी ‘क्रूरता’ की निंदा और यूक्रेन की ‘वीरता’ की सराहना की…
रोम, 14 जून। पोप फ्रांसिस ने यूक्रेन में रूसी सैनिकों की ‘‘क्रूरता और बर्बरता’’ की आलोचना करने के साथ ही अपनी भूमि की रक्षा कर रहे यूक्रेन के लोगों की ‘‘वीरता’’ और ‘‘साहस’’ की प्रशंसा की है।
फ्रांसिस ने पिछले महीने जेसुइट पत्रिकाओं के यूरोपीय संपादकों के साथ एक बैठक में युद्ध को लेकर अपनी कुछ सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं, जिनके अंश मंगलवार को इतालवी दैनिक ‘ला स्टैम्पा’ और ‘एवेनियर’ में प्रकाशित हुए।
रूस के आक्रमण की तीखी आलोचना करते हुए फ्रांसिस ने इस बात पर जोर दिया कि यहां कोई ‘‘अच्छा और बुरा’’ नहीं है और कहीं न कहीं रूस कुछ मायनों में पूर्वी क्षेत्र में नाटो की विस्तार की नीति से उकसावे में आ गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इस बिंदु पर कोई कह सकता है कि आप पुतिन के पक्ष में हैं। लेकिन नहीं, मैं उनका पक्ष नहीं ले रहा हूं।’’ फ्रांसिस ने कहा, ‘‘ऐसा कहना आसान है और गलत भी है। मैं इसकी जड़ में गए बिना और हितों के बारे में सोचे बिना अच्छे और बुरे के बीच के भेद में जटिलता को कम करने के खिलाफ हूं। हम रूसी सैनिकों की क्रूरता, बर्बरता को देखते हैं, हमें उन्हें हल करने की कोशिश करने के लिए समस्याओं को नहीं भूलना चाहिए।’’
साक्षात्कार में फ्रांसिस ने पुष्टि की कि उन्हें रूसी धर्मगुरु किरिल से मिलने की उम्मीद है, जिन्होंने युद्ध को उचित ठहराया है। दोनों सितंबर के मध्य में कजाकिस्तान में एक अंतर-धार्मिक बैठक में भाग लेने वाले हैं।
जून में प्रस्तावित बैठक को दोनों पक्षों ने रद्द कर दिया था। फ्रांसिस ने कहा, ‘‘ताकि हमारे संवाद को गलत नहीं समझा जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि कजाकिस्तान में मैं उनका अभिवादन कर सकूंगा और एक पादरी के रूप में उनसे कुछ बात कर सकूंगा।’’
वहीं, फ्रांसिस ने यूक्रेन के लोगों के साहस की प्रशंसा की और खुद की रक्षा करने के उनके अधिकार पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर रोष जताया कि युद्ध के समय हथियारों के ‘‘परीक्षण और बिक्री’’ में हथियार निर्माताओं के वित्तीय हित जुड़े हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…