कप्तानी मेरे जीवन पर बुरा असर डाल रही थी : रूट…
लंदन, 06 जून। लॉर्ड्स के मैदान पर अपना शतक हासिल करने पर जो रूट की प्रतिक्रिया से साफ़ पता चल रहा था वह कितने भावनात्मक हो गए थे। रूट के नाबाद 115 रन उनके जीवन का 26वा टेस्ट शतक था और चौथी पारी में पहला। इस शतक के साथ ही उन्होंने इंग्लैंड के लिए घरेलू सीज़न को शानदार तरीक़े से शुरू किया और 10 महीने पहले भारत के ख़िलाफ़ हेडिंग्ले में मिली जीत के बात के सूखे को ख़त्म किया।
शायद सबसे बड़ी बात यह थी कि यह रूट का वापस एक आम खिलाड़ी बनने के बाद पहला शतक था। उन्होंने पांच साल और रिकॉर्ड 64 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड की कप्तानी की लेकिन ऐशेज़ में 4-0 और वेस्टइंडीज़ में 1-0 हारने के बाद उनकी कप्तानी में टीम ने पिछले 17 टेस्ट में एक ही जीता था। उन्होंने रविवार को अपनी पारी के बाद कहा, “कप्तानी और मेरा रिश्ता असहज होने लगा था। कप्तानी ने मेरे निजी स्वास्थ्य और जीवन पर बुरा असर डाल दिया था। मैं सब कुछ मैदान पर नहीं छोड़ पाता था और यह मेरे परिवार या मेरे क़रीबी लोगों के लिए ठीक नहीं था। मैंने पूरी कोशिश की कि हम बतौर टीम अपनी क़िस्मत बदल सकें लेकिन फिर मुझे ऐसा लगा कि इसको थोड़े अलग ढंग से करना होगा। अब मैं ऐसा करने के लिए बहुत उत्साहित हूं और चाहता हूं कि बेन स्टोक्स के साथ इस टीम को उन ऊंचाइयों तक पहुंचा दूं जिसके वह हक़दार हैं।”
रूट की कप्तानी में टीम का हालिया प्रदर्शन भले ही निराशाजनक रहा हो, उनका व्यक्तिगत फ़ॉर्म ज़बरदस्त रहा था। 2021 में उन्होंने 61 की औसत से 1708 रन बनाए जो मोहम्मद यूसुफ़ द्वारा बनाए गए एक वर्ष में सर्वाधिक रनों के विश्व रिकॉर्ड से केवल 80 रन कम थे। ऐशेज़ में उनके स्कोर थोड़े कम ज़रूर रहे थे लेकिन उसके बाद उन्होंने एंटिगा और बारबेडॉस में लगातार शतक जड़कर 2022 में पिछले साल के फ़ॉर्म को बरक़रार रखने के संकेत दिए थे। उन्होंने शुरुआत में ज़रूर टीम की कमान संभाले रखने की बात की थी लेकिन वेस्टइंडीज़ दौरे से लौटकर क्रिकेट से ब्रेक लेने के बाद उन्होंने कप्तानी से हटने का फ़ैसला सुनाया था।
उन्होंने कहा, “मैंने पूरी कोशिश तो की थी लेकिन शायद मैं समझ नहीं पाया था कि कप्तानी का बोझ कितना भारी था। मुझे लगा मेरा फ़ैसला सही था और उसे लेने के बाद ही मुझे लगा एक बड़ा बोझ हट गया है। कप्तानी एक सौभाग्य की बात थी लेकिन अब यह मेरे खेल जीवन का एक नया पड़ाव है। मेरा अच्छा दोस्त अब टीम की ज़िम्मेदारी ले चुका है और उसने शानदार शुरुआत की है और भविष्य को लेकर मैं बहुत आंदोलित हूं।”
स्टोक्स को ख़ुद इस जीत में अहम भूमिका निभानी पड़ी। उन्होंने एक जोखिम भरी अर्धशतकीय पारी के साथ इंग्लैंड को 277 के लक्ष्य की ओर अग्रसर किया। हालांकि उनके आउट होने पर भी 118 रनों की दरकार थी और ऐसे में रूट ने बेन फ़ोक्स के साथ सकारात्मक बल्लेबाज़ी करते हुए अपने आख़िरी 81 गेंदों पर ठीक 81 रन बनाए।
रूट ने जीत के बारे में कहा, “यह एक सुखद एहसास है। ऐसा लग रहा है यह बहुत दिनों बाद हमें मिला है लेकिन आप चाहते हैं कि ऐसा बार-बार हो। इसी अनुभव को हम अगले हफ़्ते ट्रेंट ब्रिज में फिर दोहराना चाहते हैं।”
रविवार की जीत के बाद रूट ने सीमारेखा पर खड़े होकर पहले न्यूज़ीलैंड खिलाड़ियों से हाथ मिलाया और फिर पवेलियन में लॉर्ड्स के मेंबर्स का अभिवादन स्वीकारा और उसके बाद उनका स्वागत उनके साथियों ने किया। स्टोक्स इस पंक्ति का पहला हिस्सा थे और उनके पीछे थे जॉनी बेयरस्टो, स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन।
रूट ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। जब आप ड्रेसिंग रूम या लॉन्ग रूम से गुज़रते हैं और आपके टीम-मेट आपको हाई फ़ाइव देते हैं और उनके चेहरे पर ख़ुशी साफ़ दिखती है। पिछले डेढ़ साल में मैंने इस अनुभव को सबसे ज़्यादा मिस किया था। मेरी कप्तानी में बेन ने इतने करामात किए हैं, मुझे लगता है अब मेरी बारी है कि मैं भी उनके लिए ऐसा करूं।”
स्टोक्स ने इस बारे में कहा, “बड़े अवसर पर जो ने हमेशा अच्छा खेल दिखाया है। उन्हें मेरी तारीफ़ करने की ज़रूरत नहीं थी क्योंकि वह वैसे भी अगला टेस्ट खेलते। जिस तरीक़े से उन्होंने कप्तानी छोड़ने के बाद पहले ही गेम में अपने देश को जीत दिलाई है वह उल्लेखनीय है। हम सहयोगी होने के साथ-साथ बहुत क़रीबी दोस्त भी हैं और यह जीत जितनी उनके लिए ख़ास थी उतनी ही मेरे लिए संतोषजनक थी। यह एक बढ़िया दिन था।”
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…