श्रीलंकाई मंत्रिमंडल संविधान के 21वें संशोधन पर चर्चा करेगा…
कोलंबो, 06 जून। श्रीलंकाई मंत्रिमंडल सोमवार को संविधान के 21वें संशोधन के संबंध में चर्चा करेगा ताकि संसद को राष्ट्रपति से अधिक शक्तियां और अधिकार प्रदान किए जा सकें। संविधान के 21वें संशोधन के जरिए अनुच्छेद-20ए को निरस्त किए जाने की उम्मीद है जो राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को व्यापक शक्तियां प्रदान करता है।
श्रीलंका के संवैधानिक मामलों के मंत्री विजेदासा राजपक्षे ने संवाददाताओं को बताया कि प्रस्तावित संशोधन का मसौदा सोमवार को कैबिनेट की होने वाली बैठक में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा, “इस पर आज (सोमवार) चर्चा की जाएगी और अगर इसे मंजूरी दी जाती है तो इसे अंतिम रूप देने के लिए दो-तीन दिनों के भीतर कानूनी मसौदा तैयार करने वालों के पास भेजा जा सकता है।” उन्होंने कहा कि शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान संविधान संशोधन के मसौदे में राजनीतिक दलों द्वारा सुझाए गए अधिकांश बदलावों को शामिल किया गया है।
सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि देश के विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से उठाई गई अधिकांश चिंताओं का समाधान कर लिया गया है और उन पर सहमति बन गई है। हालांकि श्रीलंका के प्रमुख विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को संविधान संशोधन से संबंधित उनके मसौदा दस्तावेज पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय तक इंतजार करना चाहिए। एसजेबी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह संशोधन में बदलाव कर रही है ताकि राष्ट्रपति के व्यापक अधिकार कायम रहें। दरअसल, एसजेबी राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने के पक्ष में है। श्रीलंका 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…