लखनऊ। हिन्द वतन समाचार…
प्रतिवर्ष बढ़ रहे अस्थमा के मरीज़-डॉ सूर्यकान्त
लखनऊ। राजधानी के प्रेस क्लब में बुधवार को केजीएमयू के चेस्ट रोग के विभाग अध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त ने एक प्रेस वार्ता के दौरान अस्थमा की बीमारी पर प्रकाश डाला। जिस दौरान उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी लाइलाज बीमारी है। जिसके प्रति अगर लोग अभी भी जागरूक नहीं हुए तो आने वाले समय में ये एक घातक बीमारी का रूप ले सकती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह लोग बीपी की दिक्कत होने पर समय समय पर अपना टेस्ट करवाते है ठीक उसी तरह अस्थमा का भी चेकअप करवाना बहुत ज़रूरी है साथ ही उन्होंने कहा कि अस्थमा के मरीज़ों के लिए सबसे आसान तरीका है कि वह समय समय पर स्पाइरोमेट्री टेस्ट और पल्मोनरी टेस्ट करवाए। जिससे इस बीमारी के प्रति आप पहले से ही अलर्ट हो जायेगे। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वह अपनी टीम के साथ “अस्थमा बेरुक ज़िन्दगी यात्रा” के नाम से अभियान शुरू किया जा रहा है। जो बाराबंकी से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपूर, इलाहबाद , बनारस और गोरखपुर तक जाएगी।
केजीएमयू के डॉ सूर्यकांत ने बुधवार को यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। प्रेस वार्ता के माध्यम से उन्होंने लोगों को अस्थमा बीमारी को लेकर लेकर कई मुख्या बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रेस वार्ता का उद्देश्य है कि लोगों को इस बीमारी से कैसे बचाया जाए और इसकी पहचान कैसे होती है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में लगभग 9 करोड़ 35 लाख लोग और विश्व में करीब 59 करोड़ों 50 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और भारत में यह बीमारी तेजी से बढ़ती जा रही है। यही नही इनकी संख्या में लगातार इजाफा होता रहा है साथ ही उन्होंने कहा कि इस बीमारी को गंभीरता से देखते हुए 20- दिसंबर-2018 को बेरोग ज़िन्दगी एक राष्ट्रीय अभियान के तहत एक यात्रा बाराबंकी शहर से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ , कानपुर, इलाहाबाद, बनारस एवं गोरखपुर तक जाएगी। बेरोग ज़िन्दगी एक राष्ट्रीय अभियान के तहत इस यात्रा का उद्देश लोगों को अस्थमा के बारे में जागरूक करना तथा इनहेलर चिकित्सा के बारे में लोगों को समझाना है। जिससे आने वाले समय में लोग इस बीमारी से पूरी तरह से अलर्ट रहे और समय पर चेकअप करवाते रहे।
अस्थमा बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित है उत्तर प्रदेश
केजीएमयू के डॉ सूर्यकान्त ने कहा कि ग्लोबल डिसीज़ बर्डन 2018 के अनुसार उत्तर प्रदेश का स्थान अस्थमा प्रसार व मृत्यु दर में सबसे खराब राज्यों में से सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि फेफड़ों की कार्य क्षमता हमारे पूरे शरीर को प्रभावित करती है जिसकी खासतौर पर अनदेखी की जाती है, हाई ब्लड प्रेशर मरीज नियमित रूप से अपना बीपी चेक कराता है जिससे मरीज को अपने बीपी के स्तर को मैनेज करना आसान हो जाता है ठीक इसी तरह से अस्थमा के रोगियों को भी अपने फेफड़ों को चेक करते रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अस्थमा लंबी चलने वाली बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है बल्कि यह इनहेलर की मदद से सही तरीके से मैनेज की जा सकती है लेकिन बहुत से रोगी जब खुद को बेहतर महसूस करते हैं तो इनहेलर लेना बंद कर देते हैं जो कि काफी खतरनाक हो सकता है जिससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है इसकी वजह से रोजमर्रा के काम मे मुश्किल आती है। जिसको लेकर ब्रिज फ्री हेल्थ केयर प्रोफेशनल की मदद से सिपला द्वारा की जा रही पब्लिक सर्विस है जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूक कराना है। उन्होंने उम्मीद भी जताई है कि आने वाले समाय में इस बीमारी पर कुछ हद तक कण्ट्रोल किया जा सकता है।