कलपेश्वरः धार्मिक यात्रा के साथ पर्यटक भी…
पंच केदार का सबसे आखिरी मंदिर है कलपेश्वर मंदिर। यही एक ऐसा पवित्र मंदिर है, जिसके पट पूरे साल खुले रहते हैं। यहां के मंदिर में मुख्य भगवान के रूप में विराजमान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। यहां पहुंचने के लिए घने जंगलों और मैदान से गुजरना पड़ता है। यहां बेहद ही पुराना कलपेश्वर वृक्ष है। कहा जाता है कि इस वृक्ष से जो भी मुराद मांगो वह पूरी होती है।
समुद्र तल से 2, 134 मीटर की ऊंचाई पर कलपेश्वर चमोली के अरगम जिले में है। हेलांग से 11 किलोमीटर दूर इस जगह पर यहां से ट्रैकिंग कर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से 475 किलोमीटर दूर और दो किलोमीटर की ट्रैकिंग कर यहां पहुंचा जा सकता है।
पांडवों को क्षमादान दने से बचने के लिए जब भगवान शिव बैल का रूप धर भूमिगत हो गए थे तो उनके शरीर के कई अंग जमीन के ऊपर ही रह गए थे। कलपेश्वर में भी उनके एक भाग की पूजा होती है।
कलपेश्वर में और भी कई जगह घूमा जा सकता है। इसके आसपास कई ऐसी जगह हैं, जो बेहतरीन पर्यटक स्थल है।
रुद्रप्रयाग मंदिर- भगवान शिव का पंचकेदार में एक मंदिर यह भी है। यहां भगवान शिव को उनके मोहक चेहरे के रूप में पूजा जाता है। 2286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर में सग्गार से 21 किलोमीटर की ट्रैकिंग कर यहां पहुंचा जा सकता है। वैसे यह गांव कलपेश्वर से बस दस किलोमीटर की दूरी पर है।
जोशीमठ- यह बहुत ही छोटा तीर्थस्थल है मगर चमोली जिले का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है। यहां पर आदि शंकराचार्य की बनाई चार मुख्य संस्थाएं हैं। साथ ही यह भगवान बद्रीनाथ की प्रतिमाएं भी देखी जा सकती हैं। ठंड के दिनों में तो ये संस्थाएं भगवान का घर बन जाती हैं।
चोपता- चोपता को मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। कलपेश्वर से 23 किलोमीटर दूर यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं। साल भर यहां पर्यटकों का तांता लगा रहता है। साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए यह पसंदीदा जगह है। सर्दियों के दौरान यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो कलपेश्वर से 267 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश जोशीमठ से 251 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां आने के लिए सड़क यातायात का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कलपेश्वर पूरे साल में कभी भी जाया जा सकता है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…