श्रीलंका में हुई हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर आठ हुई…

श्रीलंका में हुई हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर आठ हुई…

कोलंबो, 10 मई। श्रीलंका में सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर मंगलवार को आठ हो गई तथा 200 से अधिक लोग घायल हो गए। देश में आर्थिक संकट के कारण भोजन, ईंधन और ऊर्जा की भारी कमी पैदा होने के बीच सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद श्रीलंका में हिंसा भड़क गई।

श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे कुछ ही घंटों पहले, उनके समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था, जिसके कारण प्राधिकारियों को राजधानी में सैन्य बलों को तैनात करना पड़ा और राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाना पड़ा।

इस हिंसा के दौरान हंबनटोटा में राजपक्षे के पैतृक आवास सहित कई नेताओं के आवासों में आगजनी की गई। वीडियो फुटेज में हंबनटोटा शहर के मेदामुलाना में महिंदा राजपक्षे और उनके छोटे भाई एवं राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का आवास जलता दिखाई दे रहा है। कुरुनेगला स्थित महिंदा राजपक्षे के आवास में भी प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी और भीड़ ने मेदामुलाना में महिंदा और गोटाबाया के पिता की स्मृति में निर्मित डी ए राजपक्षे मेमोरियल को भी नष्ट कर दिया।

इमादुवा प्रदेशीय सभा के अध्यक्ष ए वी सरथ कुमार (63) के आवास पर सोमवार को हमला किया गया था, जिसके बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। नेगोम्बो में एक लोकप्रिय होटल पर हुए हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस हिंसा में पोलोन्नारुआ जिले से श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के सांसद अमरकीर्ति अतुकोराला (57) और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) की भी मौत हो गई। गोलीबारी में 27 वर्षीय एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हुई है।

वीराकेतिया प्रदेशीय सभा के अध्यक्ष के आवास पर सोमवार रात हुई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई। हिंसा में घायल एक व्यक्ति की कोलंबो स्थित अस्पताल में मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ गठबंधन के कई मंत्रियों और सांसदों की कई सम्पत्तियों पर हमला किया। वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है। नौ अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…